नई दिल्ली: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव और अन्य अधिकारियों के खिलाफ कथित नौकरी के बदले ज़मीन घोटाला मामले में मुकदमा चलाने की मंजूरी लेने के लिए दिल्ली की एक अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को 8 अगस्त तक का समय दे दिया।
न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, राउज़ एवेन्यू कोर्ट की विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने सीबीआई को समय दिया क्योंकि जांच एजेंसी ने इस आशय की प्रार्थना बुधवार को की थी।
केंद्रीय एजेंसी ने अपने विशेष लोक अभियोजक डीपी सिंह के माध्यम से अदालत को अवगत कराया था कि पहले से ही आरोपपत्र दाखिल होने के बावजूद मामले में एक नया आरोपपत्र दाखिल किया गया है, क्योंकि कथित कृत्य एक अलग कार्यप्रणाली के साथ किया गया है।
साथ ही, अदालत को यह भी बताया गया कि लालू प्रसाद और तीन अन्य के खिलाफ आगे बढ़ने के लिए मंजूरी का इंतजार है।
गौरतलब है कि सीबीआई ने 3 जुलाई को लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनके बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था।
सीबीआई अधिकारी ने पहले अदालत को बताया था कि, "2004-2009 की अवधि के दौरान लालू प्रसाद यादव ने रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह 'डी' पदों पर स्थानापन्न नियुक्तियों के बदले में अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर भूमि संपत्ति के हस्तांतरण के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया था।"
यहां बता दें कि तत्कालीन रेल मंत्री लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दो बेटियों और अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों सहित 15 अन्य के खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया था। पटना के कई निवासियों ने स्वयं या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से अपनी जमीन उनके परिवार के सदस्यों और उनके और उनके परिवार द्वारा नियंत्रित एक निजी कंपनी के पक्ष में बेच दी और उपहार में दे दी।
एजेंसी कोर्ट को बताया की, “जोनल रेलवे में स्थानापन्न की ऐसी नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक सूचना जारी नहीं की गई थी, फिर भी जो नियुक्त व्यक्ति पटना के निवासी थे, उन्हें मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित विभिन्न जोनल रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था।“
सीबीआई ने कहा था, “इस कार्यप्रणाली को जारी रखते हुए पटना में स्थित लगभग 1,05,292 वर्ग फुट भूमि, अचल संपत्तियों को लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा पांच बिक्री कार्यों और दो उपहार कार्यों के माध्यम से अधिग्रहीत किया गया था, जिसमें विक्रेता को भूमि हस्तांतरण का अधिकांश भुगतान नकद में दिखाया गया था।"
इस मामले में 10 अक्टूबर 2022 को राबड़ी देवी और बेटी सहित 16 लोगों के खिलाफ सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल किया था और फिर उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी ली गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, सीबीआई ने अपनी पहली चार्जशीट में कहा कि भारतीय रेलवे द्वारा नियुक्ति के लिए स्थापित मानकों और दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रेलवे में अनियमित नियुक्तियां की गई हैं।
साथ ही यह आरोप लगाया गया कि उम्मीदवारों ने यादव परिवार के सदस्यों को बेहद कम कीमत पर - बाजार दर के पांचवें हिस्से तक - सीधे या अपने करीबी रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के माध्यम से जमीन दी।