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'किसी नागरिक को उचित मुआवजा से वंचित नहीं किया जा सकता', भूमि अधिग्रहण मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य प्राधिकरणों और याचिकाकर्ता के बीच जो भी विवाद हो, भूमि के नुकसान के लिए उसे मुआवजे से वंचित नहीं किया जा सकता है.

भूमि अधिग्रहण का मामला (पिक क्रेडिट Freepik)

Written by Satyam Kumar |Updated : October 16, 2024 2:17 PM IST

जब सरकार सार्वजनिक कार्यों के लिए किसी व्यक्ति की जमीन अधिग्रहित करती है तो सबसे पहले उस जमीन का मुआवजा तय करती है. जमीन का उचित मुआवजा मिलना नागरिकों का हक है. ऐसा ही एक मामला कर्नाटक हाईकोर्ट के सामने आया, जिसमें अदालत ने जमीन अधिग्रहण मामले में कहा कि सरकारी अधिकारियों के बीच विवाद होने से किसी नागरिक को उचित मुआवजे के हक से वंचित नहीं किया जा सकता है.

महिला को मुआवजे से वंचित नहीं किया जा सकता

जस्टिस सुरज गोविंदराज ने उक्त टिप्पणी के साथ कर्नाटक के मुख्य सचिव को कलबुरागी की एक महिला को उचित मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता जगादेवी की चार एकड़ भूमि कापानूर गांव में कमजोर वर्ग के लिए घरों के निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई थी, जमीन अधिग्रहण के बाद महिला को मुआवजा नहीं दिया गया. हाईकोर्ट ने कर्नाटक सरकार के मुख्य सचिव को उचित निर्णय लेने और संबंधित प्राधिकरण को मुआवजे का भुगतान करने का निर्देश दिया है.अदालत ने कहा कि मुआवजा 'भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास में उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार' अधिनियम, 2013 के तहत दिया जाना चाहिए.

बहस के दौरान सरकारी वकील ने बताया कि अधिग्रहित भूमि राजस्व विभाग या लोक निर्माण विभाग के नियंत्रण में नहीं है. इस पर अदालत ने कहा कि राज्य प्राधिकरणों और याचिकाकर्ता के बीच जो भी विवाद हो, भूमि के नुकसान के लिए उसे को मुआवजे से वंचित नहीं किया जा सकता है. याचिकाकर्ता केवल अपनी भूमि के नुकसान के लिए उचित मुआवजे की मांग कर रहा है, जो पिछले कई दशकों से नहीं दिया गया है.

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कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिव को उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने की स्वतंत्रता है, जिन्होंने याचिकाकर्ताओं की भूमि पर अनधिकृत रूप से कब्जा लिया है, साथ ही इन अधिकारियों से जमीन को पुन: कब्जे में लेने व मुआवजे की पाशि वसूलने के निर्देश दिए हैं.

क्या है 2013 का भूमि अधिग्रहण, पुर्नवास अधिनियम?

भूमि अधिग्रहण, पुर्नवास और पुर्नस्थापन अधिनियम 2013 में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को पारदर्शी और सरल बनाया गया है. इस अधिनियम के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि अधिग्रहण के लिए बाज़ार मूल्य का चार गुना और शहरी क्षेत्रों में बाजार मूल्य से दोगुनी कीमत देने का प्रावधान है.