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Lakhimpur Kheri Violence Case: आशीष मिश्रा पर 'गवाहों' को धमकाने का आरोप, सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह में मांगा जवाब

लखीमपुर हिंसा मामले में एक शिकायतकर्ता के वकील ने मिश्रा पर गवाहों को धमकाने का आरोप लगाया है.

Written by My Lord Team |Published : November 27, 2024 4:33 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को 2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गवाहों को धमकाने के लगे आरोपों पर जवाब देने को कहा है.अदालत ने चार सप्ताह के भीतर हलफनामा के माध्यम से जवाब देने को कहा है. पहले सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी आशीष मिश्रा को पहले अंतरिम जमानत मिली थी, जिसमें गवाहों के दबाव को रोकने के लिए यात्रा पर प्रतिबंध थे, लेकिन बाद में परिवार की देखभाल के लिए शर्तों में ढील दी गई थी.

गवाहों को धमकाने का आरोप

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने मिश्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे को एक हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें उनके मुवक्किल को आरोपों का खंडन किये जाने के बाद अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया गया.

एक शिकायतकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने मिश्रा पर गवाहों को धमकाने का आरोप लगाया. दवे ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि यह एक ‘अंतहीन प्रक्रिया’ है. दवे ने कहा कि इन तस्वीरों में मिश्रा नहीं हैं, यह इस अदालत के लिए नहीं बल्कि बाहर के दर्शकों के लिए हैं

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इन आरोपों पर शीर्ष अदालत ने मिश्रा से चार सप्ताह के भीतर आरोपों से इनकार पर हलफनामा दाखिल करने को कहा.

SC से मिली है जमानत

सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को आशीष मिश्रा को जमानत दी थी और उनके दिल्ली या लखनऊ आने-जाने पर रोक लगा दी थी. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में तीन अक्टूबर 2021 को चार किसानों समेत आठ लोग मारे गए थे. हिंसा उस समय भड़की, जब किसान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे. इस दौरान एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल डाला था. बाद में किसानों ने वाहन चालक तथा दो भाजपा कार्यकर्ताओं को पीट पीट कर कथित तौर पर मार डाला था. हिंसा में एक पत्रकार की भी जान गई थी. फरवरी में शीर्ष अदालत ने आशीष मिश्रा की अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ा दी थी और अपनी रजिस्ट्री से मामले की स्टेटस पर सुनवाई अदालत से रिपोर्ट प्राप्त करने को कहा था.

पिछले साल 25 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आशीष मिश्रा को अंतरिम जमानत की अवधि के दौरान उत्तर प्रदेश या दिल्ली में नहीं रहना चाहिए. ऐसा मामले में गवाहों पर किसी भी तरह का दबाव डालने से बचने के लिए किया गया था. बाद में, 26 सितंबर को, शीर्ष अदालत ने उसकी जमानत शर्तों में ढील दी ताकि वह अपनी बीमार मां की देखभाल और अपनी बेटी के इलाज के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जाए और वहां रह सके. पिछले साल 6 दिसंबर को, सुनवाई अदालत ने आशीष मिश्रा और 12 अन्य के खिलाफ किसानों की मौत के मामले में हत्या, आपराधिक साजिश और अन्य दंडात्मक कानूनों के तहत कथित अपराधों के लिए आरोप तय किए, जिससे मुकदमे की शुरुआत का रास्ता साफ हो गया.

(खबर PTI इनपुट के आधार पर लिखी गई है)