नई दिल्ली: भारत के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार, 16 जनवरी को कृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद विवाद (Krishna Janmabhoomi-Shahi Idgah Dispute) पर अपना फैसला दिया है. फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर अंतरिम रोक लगाई है, जिसमें विवादित स्थल का निरीक्षण करने के लिए एक आयुक्त (Advocate Commissioner) की नियुक्ति की बात कही गयी थी. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय को केस की सुनवाई को जारी रखने का आदेश दिया है. बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय में कृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में अगली सुनवाई 23 जनवरी, 2024 को होनी तय है.
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपंकर दत्ता की बेंच ने मस्जिद समिति द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका (Special Leave Petition) पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले पर अंतरिम रोक लगायी है. जिसमें अदालत की तरफ से विवादित स्थल के सर्वेक्षण के लिए आयुक्त की नियुक्ति की मांग की गई थी. यह मांग मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता तसनीम अहमदी ने रखी थी. जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने स्वीकार कर लिया.
सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू पक्ष से कहा, "आपकी अर्जी बहुत अस्पष्ट है. आपको स्पष्ट रूप से बताना होगा कि आप क्या चाहते है? इसके अलावा ट्रांसफर का मामला भी इस अदालत में लंबित है. हमें उस पर भी फैसला लेना है." बता दें कि मुस्लिम पक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी, जिसमें पहला, सर्वेक्षण आयुक्त की नियुक्ति पर रोक, और दूसरा, मथुरा कृष्णजन्मभूमि से संबंधित 18 याचिकाओं को मथुरा जिला अदालत से हाईकोर्ट में ट्रांसफर किए जाने पर रोक लगाने की मांग शामिल है.
14 दिसंबर, 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण को लेकर अधिवक्ता आयुक्त को नियुक्त करने पर सहमति दी थी. उच्च न्यायालय ने हिंदू पक्ष के मस्जिद की जगह मंदिर होने के दावे पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया था. उस समय न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने कृष्ण विराजमान और सात अन्य द्वारा दायर वाद पर सुनवाई के बाद आयुक्त के नियुक्ति की मंजूरी दी थी.
कृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह मस्जिद विवाद, अतीत में मुगल बादशाह औरंगजेब के जमाने से जुड़ी है. यह विवाद मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर है, जिस पर हिंदू पक्ष ने कृष्ण की जन्मभूमि होने का दावा किया है. हिंदू पक्ष के अनुसार यह मस्जिद कृष्ण मंदिर को तोड़ कर बनाया गया है. और उस जगद से मंदिर से जुड़े कई सबूत भी मिले हैं.