कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर केस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल टास्क फोर्स के कार्य से नाराजगी जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि 9 सितंबर के बाद कोई बैठक क्यों नहीं हुई. अदालत ने NTF को नियमित बैठकें कर तीन सप्ताह के भीतर अपना कार्य पूरा करने का निर्देश दिया है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को भी अपनी जांच पर तीन सप्ताह के भीतर आगे की वस्तु-स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि सीबीआई रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि कोलकाता बलात्कार और हत्या मामले में अन्य लोगों की भूमिका की जांच जारी है.
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ इस मामले की सुनवाई की. पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हुए. बेंच ने RG कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के मामले की सुनवाई की. यह मामला 9 अगस्त को हुई इस घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए चिकित्सा पेशेवरों के लिए सुरक्षा उपायों की कमी के मुद्दे को उठाने के चलते नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया. NTF को स्थिति में सुधार के लिए उचित सिफारिशें करने का कार्य सौंपा गया है. आज सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Tushar Mehhta) ने टास्क फोर्स के काम पर सूचित किया.
एसजी तुषार मेहता ने कहा,
"NTF की पहली बैठक 27 अगस्त को हुई थी, जिसमें चार उप-समूहों का गठन किया गया था ताकि चिकित्सा संस्थानों की सुरक्षा को मजबूत किया जा सके."
SG ने अदालत को NTF के कार्यों की जानकारी हलफनामा के माध्यम से दी. एसजी ने कहा कि इन उप-समूहों की संयोजकों और सचिवों की बैठक 9 सितंबर को आयोजित की गई. वहीं, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर विभिन्न हितधारकों से इनपुट प्राप्त करने के लिए एक वेब लिंक बनाया गया है और अब तक लगभग 37,000 संघों और 15,000 व्यक्तियों से 17,000 इनपुट और सुझाव प्राप्त हुए हैं.