Kolkata Doctor Rape Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को निर्देश दिया कि वे आरजी कर अस्पताल मामले में मृतक का नाम, तस्वीरें और वीडियो क्लिप तुरंत हटा दें.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ जिसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल हैं, ने कहा कि पीड़िता की पहचान विभिन्न प्लेटफॉर्म पर उजागर की गई है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि चूंकि सोशल और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने मृतक की पहचान और शव की बरामदगी के बाद शव की तस्वीरें प्रकाशित करना शुरू कर दिया है, इसलिए वह निषेधाज्ञा आदेश जारी करने के लिए बाध्य है.
शीर्ष अदालत ने कहा,
"हम तदनुसार निर्देश देते हैं कि उपरोक्त घटना में मृतक के नाम, तस्वीरों और वीडियो क्लिप के सभी संदर्भ इस आदेश के अनुपालन में सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से तुरंत हटा दिए जाएंगे."
शीर्ष अदालत एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यह मुद्दा उठाया गया था कि मृतक के शव की तस्वीरें, वीडियो क्लिप सहित, सोशल मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर प्रसारित हो रही हैं। याचिका में यह शिकायत की गई थी कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, कलकत्ता में हुई हत्या और कथित बलात्कार के बाद, मृतक का नाम और संबंधित हैशटैग इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से प्रसारित किए गए हैं.
सुनवाई के दौरान बात चली कि अस्पताल के 7000 रेजिडेंट डॉक्टर घर जा चुके हैं. केवल 100 के करीब छात्र व डॉक्टर मौजूद हैं. सीजेआई ने डॉक्टरों को वापस लौटने का अनुरोध करते हुए कहा कि उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है.
सीजेआई ने कहा,
"डॉक्टरों के लिए अपनी ड्यूटी पर लौटने के लिए सुरक्षित परिस्थितियों को बनाए रखना आवश्यक है, न केवल अपनी शिक्षा जारी रखने के लिए बल्कि अपने मरीजों को चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए भी. इसे लेकर हमें एसजी मेहता द्वारा आश्वासन दिया गया है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की सुविधा की सुरक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में सीआईएसएफ की तैनाती की जाएगी."
पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से अदालत में मौजूद सीनियर एडोवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें इससे कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि इसका उद्देश्य जगह की सुरक्षा करना है.