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Kolkata Doctor Rape-Murder Case: कपिल सिब्बल की छूटी हंसी तो भड़के एसजी मेहता, मुकदमा कहां तक पहुंचा

Kolkata Doctor Rape-Murder Case सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान Kapil Sibal की हंसी से आपत्ति जताते हुए Tushar Mehta ने कहा कि यहां एक डॉक्टर की निंदनीय तरीके से हत्या हो चुकी है, और आप हंस रहे हैं. कपिल सिब्बल ने भी इस बात का जवाब दिया

कपिल सिब्बल तुषार मेहता

Written by Satyam Kumar |Updated : August 22, 2024 4:33 PM IST

Kolkata Doctor Rape-Murder Case: कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर की घटना पर स्वत: संज्ञान लिए मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज दूसरे दिन की सुनवाई हुई. मामले में केन्द्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तो वहीं बंगाल सरकार का पक्ष सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल रख रहे हैं. बहस के दौरान ही एक वाक्या ऐसा हुआ जिसमें एसजी तुषार मेहता की मांग पर सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल हंस पड़े. एसजी तुषार मेहता ने कहा कि यहां एक डॉक्टर की नृशंस तरीके से हत्या कर दी गई है और आप अब हंस रहे हैं. इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि आप साफ पानी को गंदा करने की कोशिश कर रहे हैं. आपका ध्यान घटना की जांच पर नहीं है, आप बंगाल सरकार को निशाना बना रहे हैं.

आप पानी को गंदा कर रहे हैं, नहीं पानी साफ कर रहें हैं: सिब्बल और मेहता बहस

सिब्बल: आप क्या कह रहे हैं? यह एक सामान्य डायरी है, हम भी यही कह रहे हैं.

एसजी: कृपया मत हंसिए, एक लड़की ने सबसे अमानवीय और असम्मानजनक तरीके से अपनी जान गंवाई है!

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सिब्बल: ये नियम हैं, और हमने इनका पूरी तरह पालन किया है.

जस्टिस मनोज मिश्रा: ... प्रासंगिक हिस्सा जांच रिपोर्ट होगी जो दर्शाती है कि अप्राकृतिक मौत के बारे में सूचना 9 अगस्त को सुबह 10.10 बजे केस नंबर 861 के रूप में दर्ज की गई थी. इसमें दिन के दौरान उठाए गए विभिन्न कदमों का विवरण है. दोपहर 1:45 बजे,

सिब्बल: हम सभी जानते हैं कि यह बर्बरता है. चलो, चलो, आप सिर्फ पानी को गंदा कर रहे हैं.

एस.जी.: हम सिर्फ पानी से कीचड़ निकाल रहे हैं, बस इतना ही.

राज्य की ओर से पेश होनेवाले के अकाउंट स्विस बैंक में है: कपिल सिब्बल

सीजेआई: जिस पल उन्होंने (आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष) अपना इस्तीफा दिया, उन्हें दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल नियुक्त कर दिया गया?

सिब्बल: हम इस पर अलग से जवाब देंगे. हम इसके उस हिस्से की सराहना करते हैं. अब, बेशक, (वे कह रहे हैं), जो लोग राज्य के लिए पेश हो रहे हैं, उनके पास स्विस बैंक खाते हैं - यह चर्चा में है. क्योंकि हम राज्य के लिए पेश होते हैं. बाहर यही सब हो रहा है.

एसजी: शुरू में 'स्विस बैंक खाते' का दावा आपके मुवक्किल, आपके वर्तमान मुवक्किल की ओर से आया था.

कोर्ट: हमें इन सब में जाने की जरूरत नहीं है,

हमने FIR दर्ज करने में प्रक्रिया का पालन किया: कपिल सिब्बल

सिब्बल: 2018 के राजपत्र में जारी अधिसूचना के माध्यम से हमें अप्राकृतिक मृत्यु के मामले में दिशा-निर्देशों का पालन करना आवश्यक है। सभी चरणों का पूरी तरह से पालन किया गया। यह कोई नई बात नहीं है। कृपया पढ़ें कि यूडी कैसे दर्ज की जाती है और इसे मजिस्ट्रेट के सामने कैसे पेश किया जाता है.

सीजेआई: क्या कारण है कि FIR  लगभग 14 घंटे बाद दर्ज की गई?

सिब्बल: हमने माता-पिता से पूछा, उन्होंने कहा कि वे औपचारिक शिकायत करेंगे. यह सब रिकॉर्ड में है.

सीजेआई: कॉलेज के प्रिंसिपल को सीधे एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देना चाहिए था. कौन संपर्क में था?

सिब्बल: जहां तक ​​हमारा सवाल है, हमने प्रक्रिया का पालन किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य पर रोक नहीं लगाई, कपिल सिब्बल से बोले सीजेआई

सिब्बल ने अदालत  से स्पष्ट करने का आग्रह किया कि जब उसने पहले कहा था कि प्रदर्शनकारियों को राज्य द्वारा दंडित नहीं किया जाना चाहिए, तो इसका मतलब यह नहीं था कि विरोध प्रदर्शन के संचालन के लिए मानक संचालन प्रोटोकॉल की अनदेखी की जा सकती है.

सीजेआई: मौत की सीबीआई द्वारा जांच जारी रहने दें और कोलकाता पुलिस को बर्बरता की जांच करने दें. हमने कभी नहीं कहा कि सामान्य कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाएगा. केवल इतना कहा कि केवल विरोध प्रदर्शन के लिए गिरफ्तारी न करें.

सीजेआई: सिब्बल ने कहा कि इस न्यायालय ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी है, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं निकाला जाना चाहिए कि राज्य अपनी शक्ति का वैधानिक रूप से उपयोग नहीं कर सकता. इस न्यायालय ने राज्य को कानून द्वारा सौंपी गई वैधानिक शक्तियों का प्रयोग करने से नहीं रोका है, लेकिन हम स्पष्ट रूप से पुष्टि करते हैं कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में बाधा नहीं डाली जाएगी और राज्य आरजी कर घटना के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगा.

कोलकाता डॉक्टर रेप-मर्डर की घटना कहां तक पहुंची?

सुप्रीम कोर्ट शुरू से ही इस मामले में सुरक्षात्मक रूख अपनाए हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट का पूरा फोकस डॉक्टरों को वापस काम पर लाने, मरीजों को स्वास्थ्य सुविधा बहाल करवाने और अस्पताल परिसर में डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर है.