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दलित छात्र के बाल कटवाने के लिए हुए मुकदमे में प्रधानाध्यापिका को Kerala High Court से मिली राहत

केरल हाईकोर्ट ने स्कूल की प्रधानाध्यापिका को एससी/एसटी एक्ट में अग्रिम जमानत दे दी. कोर्ट ने माना कि प्रधानाध्यापिका द्वारा दलित छात्र के बाल काटने वाली घटना में कोई अपराधिक दृष्टकोण नहीं है.

Written by My Lord Team |Updated : January 24, 2024 7:02 PM IST

केरल हाईकोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट से जुड़े में मामले एक बड़ा फैसला दिया. कोर्ट ने मामले के आरोपी स्कूल प्रधानाध्यापिका को अग्रिम जमानत दे दी. कोर्ट ने निर्णय लेते हुए माना कि प्रधानाध्यापिका द्वारा दलित छात्र को अनुशासित करने के लिए ऐसा किया गया. वहीं, इस घटना को जातीय द्वेष से जुड़ा होने से मानने से इनकार किया.

हाईकोर्ट ने स्वीकार की याचिका

जस्टिस के बाबू की एकल बेंच ने एससी-एसटी से जुड़े मामले की सुनवाई की, जिसमें स्कूल में महिला प्रधानाध्यापिका पर एक बच्चे के बाल कटवाने के कारण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 (एससी/एसटी अधिनियम) के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. कोर्ट ने माना कि प्रधानाध्यापिका के ऐसा करने के पीछे कोई अपराधिक इरादा नहीं था.

कोर्ट ने कहा, "मेरा विचार है कि इस कथित घटना में अपीलकर्ता (आरोपी प्रधानाध्यापक) की मंशा संदिग्ध है. ज्यादा से ज्यादा, यह गौर किया जा सकता है कि शिक्षक की भूमिका में होने से दलित छात्र पर अनुशासनात्मक नियंत्रण रखता है. मामले में ऐसी कोई प्रथम दृष्टतया सामग्री नहीं है, जो घटना में एससी/एसटी एक्ट अधिनियम के तहत अपराध को दिखाता हो.

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मामले में एससी/एसटी से जुड़े कोई तथ्य न होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानाध्यापिका को अग्रिम जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया.

क्या है पूरा मामला?

घटना कासरगोड में कोट्टामाला एमजीएम यूपी स्कूल है. जहां की वर्तमान प्रधानाध्यापिका के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया. प्रधानाध्यापिका पर आरोप लगा कि उन्होंने स्कूल असेंबली के दौरान दलित छात्र के बाल काट दिए, जिससे उसका अपमान हुआ.

मामले में प्रधानाध्यापिका ने अग्रिम जमानत के सत्र न्यायालय में अर्जी दायर की. जिसे सत्र न्यायालय ने खारिज कर दिया. वहीं, सत्र न्यायालय के इस फैसले को केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिसे कोर्ट ने स्वीकार करते हुए स्कूल की प्रधानाध्यापिका को अग्रिम जमानत दे दी.