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मीडिया को जजों की मौखिक टिप्पणी पर रिपोर्टिंग करते समय रहना चाहिए सावधान

कोर्ट ने यह भी कहा कि मीडिया अपनी तरह से हो रहे वादी की गरिमा और प्रतिष्ठा की हानि को लेकर लापरवाह नहीं हो सकता.

Kerala High Court on Media Reporting

Written by My Lord Team |Published : June 24, 2023 11:02 AM IST

कोच्चि: केरल हाई कोर्ट ने किसी मामले पर सुनवाई करते हुए आग्रह किया कि मीडिया को अदालत से संबंधित मामलों की, खास कर न्यायाधीशों द्वारा की गई मौखिक टिप्पणी पर रिपोर्टिंग करते समय सावधानी दिखानी चाहिए.

एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार यह टिप्पणी न्यायमूर्ति एके जयशंकरन नांबियार और न्यायमूर्ति मोहम्मद नियास की खंडपीठ ने की है.

अदालत के अनुसार न्यायाधीशों की मौखिक टिप्पणी को मीडिया अनुचित तरीके से बताती है जिसके कारण वादकारियों को नुकसान हो सकता है इसके प्रति मीडिया को सचेत होना चाहिए.

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CJI का जिक्र

कोर्ट ने यह भी कहा कि मीडिया अपनी तरह से हो रहे वादी की गरिमा और प्रतिष्ठा की हानि को लेकर लापरवाह नहीं हो सकता.

जानकारी के मुताबिक अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के उस अनुरोध का भी जिक्र किया जिसमें उन्होने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से लंबित मामलों पर चर्चा को स्थगित करके संयम बरतने का अनुरोध किया, ताकि कानून के शासन को बेहतर ढंग से पेश किया जा सके.

निजता का अधिकार

अदालत ने निजता के अधिकार का हवाला देते हुए कहा कि इसे मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है. जिसके तहत हर किसी के निजता का ख्याल रखा जाना चाहिए. इसलिए, मीडिया को रिपोर्ट देते समय जिम्मेदार पत्रकारिता आचरण की संहिता को अपनाना चाहिए.

जानकारी के लिए आपको बता दें कि अदालत की यह टिप्पणी प्रिया वर्गीस द्वारा एकल-न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ दायर की गई अपील पर आईं, जिसमें कन्नूर विश्वविद्यालय को एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में नियुक्त करने के लिए उसकी साख की फिर से जांच करने का निर्देश दिया गया था. यह मामला मीडिया में छाए हुए था क्योंकि वर्गीस की शादी केके रागेश से हुई थी, जो मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन के निजी सचिव हैं.