कर्नाटक पुलिस की विशेष जांच दल (SIT) ने यौन उत्पीड़न और बलात्कार मामले में पूर्व जेडी(एस) सांसद प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ 2144 पन्नों का आरोपपत्र दायर किया है. रेवन्ना पर यौन उत्पीड़न और आपराधिक धमकी के आरोपों की जांच एसआईटी द्वारा की जा रही है, जिसके बाद उनके घर पर घरेलू सहायिका के रूप में काम करने वाली एक महिला ने शिकायत की थी.
इस साल जून में, कर्नाटक पुलिस के विशेष जांच दल (SIT), जो प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ यौन उत्पीड़न और उत्पीड़न के मामलों की जांच कर रहा है, ने हसन से पूर्व जनता दल (सेक्युलर) सांसद के खिलाफ चौथा मामला दर्ज किया. प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ दर्ज पिछले तीन मामलों के विपरीत, जिसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की यौन उत्पीड़न की धारा लगाई गई थी, चौथा मामला यौन उत्पीड़न, पीछा करने और पीड़िता को आपराधिक रूप से डराने-धमकाने के साथ-साथ पीड़िता की तस्वीरें गुप्त रूप से रिकॉर्ड करने और साझा करने की धाराओं के तहत दर्ज किया गया है.
प्रज्वल रेवन्ना जर्मनी से लगभग एक महीने बाद, कथित तौर पर 26 अप्रैल की रात को भारत लौटे, जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कथित तौर पर उनसे जुड़े कई अश्लील वीडियो सामने आए। उन्हें 31 मई को बेंगलुरु एयरपोर्ट पर पहुंचने पर गिरफ्तार किया गया. इससे पहले 29 मई को एसआईटी ने मामले के सिलसिले में दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान नवीन गौड़ा और चेतन के रूप में हुई है। अधिकारियों के अनुसार, आरोपियों को तब गिरफ्तार किया गया जब वे अग्रिम जमानत के लिए उच्च न्यायालय में पेश हुए। चेतन गौड़ा और नवीन गौड़ा ने कथित तौर पर प्रज्वल रेवन्ना द्वारा महिलाओं पर यौन हमला करने के वीडियो वाले पेन ड्राइव वितरित किए.
प्रज्वल रेवन्ना के खिलाफ यौन शोषण के आरोप तब सामने आए जब कई महिलाओं के यौन उत्पीड़न को दर्शाने वाले 2,900 से अधिक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने शुरू हो गए. वीडियो सामने आने के बाद , 28 अप्रैल को पुलिस ने प्रज्वल रेवन्ना और उसके पिता एचडी रेवन्ना के खिलाफ हासन पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत मामले को दर्ज किया. FIR एक पीड़िता की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 354 ए (यौन उत्पीड़न), 354 डी (पीछा करना), 506 (आपराधिक धमकी) और 509 (महिला की चरित्र का अपमान का प्रयास) के तहत शिकायत दर्ज की गई. इस मामले में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के एक सेवानिवृत अधिकारी बीके सिंह के नेतृत्व में इस मामले की जांच के लिए एक SIT टीम गठित की गई थी.