कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को ओला कैब्स की मूल कंपनी एएनआई टेक्नोलॉजीज को एक महिला को पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया, जिस पर 2019 में एक यात्रा के दौरान उनके एक ड्राइवर द्वारा कथित रूप से यौन उत्पीड़न का सामना करने का आरोप है.
कर्नाटक हाईकोर्ट में एकल न्यायाधीश पीठ की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस एम जी एस कमल ने ओला की आंतरिक शिकायत समिति (IOC) को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (पीओएसएच अधिनियम) के अनुरूप उचित जांच शुरू करने का भी निर्देश दिया है. जांच 90 दिनों के भीतर पूरी की जानी है और एक रिपोर्ट जिला अधिकारी को सौंपी जानी है. इसके अतिरिक्त, एएनआई टेक्नोलॉजीज को याचिकाकर्ता के मुकदमेबाजी खर्च को कवर करने के लिए 50,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया है.
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि सभी पक्षों को POSH अधिनियम की धारा 16 का अनुपालन करना चाहिए, जिससे संबंधित पहचान की गोपनीयता सुनिश्चित हो सके. अदालत ने 20 अगस्त को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. उत्पीड़न का शिकार हुई याचिकाकर्ता ने शुरू में अपनी शिकायत लेकर OLA से संपर्क किया था, लेकिन कंपनी के ICC ने बाहरी कानूनी सलाहकार की सलाह के बाद, यह कहते हुए जांच करने से इनकार कर दिया कि उसके पास अधिकार क्षेत्र नहीं है. इसके बाद महिला ने उच्च न्यायालय से राहत मांगी, जिसमें OLA को उसकी शिकायत की जांच करने और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया कि कंपनी POSH दिशा-निर्देशों का पालन करे.
उसने राज्य से टैक्सी सेवाओं का उपयोग करने वाली महिलाओं और बच्चों के लिए सुरक्षात्मक नियम लागू करने का भी आग्रह किया. अदालत ने कर्नाटक राज्य सड़क सुरक्षा प्राधिकरण को ANI टेक्नोलॉजीज को जारी किए गए नोटिस के संबंध में अपनी कार्यवाही में तेजी लाने का निर्देश दिया है, जिसे पूरा करने के लिए 90 दिनों की समय सीमा तय की गई है. याचिका का पर्याप्त रूप से जवाब न देने के लिए राज्य सरकार को एक लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया गया है. कार्यवाही के दौरान, याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि OLA एक परिवहन कंपनी के रूप में कार्य करती है, न कि केवल एक प्लेटफॉर्म के रूप में, और उसे अपने ड्राइवरों के कार्यों के लिए जिम्मेदार होना चाहिए. हालांकि, ओला के वकील ने दलील दी कि ड्राइवर स्वतंत्र ठेकेदार हैं, कर्मचारी नहीं, और कंपनी को श्रम कानूनों के तहत उत्तरदायी नहीं ठहराया जाना चाहिए.