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सरकार किसे बचा रही है? झारखंड हाईकोर्ट ने पैनम कोल कंपनी के खिलाफ अवैध खनन की जांच करने के दिए निर्देश

झारखंड हाई कोर्ट नेअत्यधिक खनन से महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान होने के स्पष्ट सबूतों के बावजूद पनम कोल माइंस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने में सरकार की अनिच्छा पर सवाल उठाया है.

झारखंड हाईकोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : February 14, 2025 10:39 AM IST

हाल ही में झारखंड हाई कोर्ट ने पाकुड़ जिले में पनम कोल माइंस के खिलाफ अवैध खनन के आरोपों के संबंध में राज्य सरकार के जवाब पर असंतोष व्यक्त किया है.कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार की ओर से दायर जवाब पर असंतोष जाहिर करते हुए मौखिक तौर पर कहा कि आखिर सरकार किसे बचाना चाह रही है? पीठ ने संकेत दिया कि मामले की सीबीआई जांच की आवश्यकता हो सकती है, जिससे सरकार को जवाब देने का एक और मौका मिल सके. याचिकाकर्ता ने विस्थापित निवासियों के लिए महत्वपूर्ण वित्तीय नुकसान और पुनर्वास की कमी पर प्रकाश डाला. अगली सुनवाई 19 फरवरी को निर्धारित है.

सरकार दे जबाव

जस्टिस एसएन प्रसाद और जस्टिस नवनीत कुमार की बेंच ने कहा कि कई बार समय दिए जाने के बाद भी सरकार मामले में स्पष्ट जवाब दाखिल नहीं कर रही है. अदालत ने कहा कि यह मामला सीबीआई जांच को सौंपे जाने के लिए उपयुक्त प्रतीत हो रहा है, लेकिन सरकार को स्पष्ट जवाब दाखिल करने के लिए एक और मौका दिया जा रहा है. मामले में अगली सुनवाई के लिए 19 फरवरी की तारीख तय की गई है.

क्या है मामला?

अधिवक्ता राम सुभग सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. इसमें कहा गया है कि पैनम कोल कंपनी को पाकुड़ जिले में खनन का लीज मिला था. कंपनी ने लीज के निर्धारित क्षेत्र से अधिक जमीन पर खनन किया था. इससे राज्य सरकार को करीब 100 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ था. इस संबंध में की गई शिकायतों की सरकार ने जांच कराई थी. जांच में भी अवैध खनन किए जाने और राजस्व के नुकसान की बात कही गई थी, लेकिन, जांच रिपोर्ट पर सरकार की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. प्रार्थी की ओर से बताया गया कि कोयला खनन की वजह से विस्थापित हुए इस क्षेत्र के लोगों को पुनर्वास सहित अन्य सुविधाएं भी प्रदान नहीं की गई हैं. पूर्व में भी अदालत ने जांच रिपोर्ट पर की गई कार्रवाई की जानकारी सरकार से मांगी थी.

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(खबर IANS एजेंसी इनपुट से है)