झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को इंटरनेट सेवाएं तत्काल बहाल करने का आदेश देते हुए कहा कि राज्य में इंटरनेट सेवा पर रोक लगाना उसके पिछले न्यायिक आदेश का उल्लंघन है. इस दौरान गृह सचिव ने जेजीजीएलसीसीई की परीक्षा के लिए इंटरनेट निलंबन को उचित ठहराने वाले दस्तावेज प्रस्तुत किए, जिन्हें न्यायालय ने समीक्षा के लिए सुरक्षित रखा है.
झारखंड उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति आनंद सेन और न्यायमूर्ति अनुभा रावत चौधरी की पीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह अदालत की पूर्व अनुमति के बिना किसी भी परीक्षा के लिए इंटरनेट सेवाएं निलंबित न करे.
पीठ ने कहा कि अदालत ने 21 सितंबर को सरकार के खिलाफ कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया, क्योंकि उसे बताया गया था कि केवल आंशिक इंटरनेट बंद था. अदालत ने कहा कि रविवार को दूरसंचार प्राधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि सरकार ने पूर्ण इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया था. अदालत ने कह कि राज्य की यह कार्रवाई इस अदालत द्वारा 21 सितंबर को पारित न्यायिक आदेश का उल्लंघन है, खासकर तब जब रिट याचिका अब भी लंबित है. यह अदालत के साथ धोखाधड़ी है.
गृह सचिव वंदना दादेल ने वह फाइल और मानक संचालन प्रक्रिया पेश की, जिसके तहत झारखंड सामान्य स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (जेजीजीएलसीसीई) के आयोजन के लिए इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की अधिसूचना जारी की गई थी. दादेल को पहले अदालत ने व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा था. दादेल द्वारा प्रस्तुत फाइल को सुरक्षित रखने के लिए अदालत ने रजिस्ट्रार जनरल को सौंपा. वहीं फाइल की एक फोटोकॉपी गृह सचिव को सौंपने का आदेश दिया गया.
झारखंड राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने अदालत को बताया कि सरकार ने अपनी अधिसूचना में संशोधन करते हुए 22 सितंबर को सुबह चार बजे से अपराह्न 3.30 बजे तक सभी इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी हैं. कृष्णा ने कहा कि यह जानकारी कुछ दूरसंचार सेवा प्रदाताओं द्वारा अपने ग्राहकों को संदेशों के माध्यम से दी गई. इससे पहले, सरकार ने 21 सितंबर को अदालत को सूचित किया था कि जेजीजीएलसीसीई के संचालन के लिए उपभोक्ताओं का केवल मोबाइल डेटा अल्प अवधि के लिए निलंबित किया गया था.
कृष्णा ने अदालत को सूचित किया कि हालांकि राज्य सरकार ने अपनी अधिसूचना को रद्द करते हुए इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाया था.