नई दिल्ली: गीतकार और पूर्व राज्यसभा सांसद जावेद अख़्तर ने मुंबई की एक अदालत द्वारा उनको जारी किए गए समन के खिलाफ अपील दायर की है. जावेद अख़्तर को यह समन 3 सितंबर, 2021 को एक निजी टीवी चैनल पर दिए इंटरव्यू के दौरान की गई टिप्पणियों पर जारी किया गया था.
अपने इंटरव्यू में जावेद अख़्तर ने अफगानिस्तान में तालिबान के उदय पर पर अपनी राय पेश की थी. इस इंटरव्यू में जावेद अख़्तर ने तालिबान की तुलना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से करते हुए कहा था कि तालिबान बहुत बर्बर हैं, उनकी हरकतें बेहद निंदनीय हैं. हालांकि भारत में हिंदू परिषद, बजरंग दल और आरएसएस तालिबान के समान ही है. उनके इस बयान पर पूरे देश में विरोध किया गया था.
जावेद अख़्तर द्वारा की गई टिप्पणियों के खिलाफ अधिवक्ता संतोष दुबे ने मुलुंड के एक मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत में मुकदमा दायर किया था. उनके इस बयान के बाद आरएसएस समर्थक होने का दावा करने वाले शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि जावेद अख़्तर ने राजनीतिक फायदे के लिए अनावश्यक रूप से आरएसएस का नाम विवाद में घसीटा और इसे सुनियोजित तरीके से बदनाम किया.
एक आरएसएस समर्थक अधिवक्ता संतोष दुबे ने भी यही आरोप लगाते हुए जावेद अख़्तर के कथित बयान को आरएसएस को बदनाम करने की एक कोशिश बताया था.
शिकायत करने पर अदालत ने जावेद अख़्तर के खिलाफ CrPC की धारा 200 के तहत शिकायतकर्ता और दो गवाहों के बयान दर्ज किए थे. दर्ज कराए गए बयान में अधिवक्ता दुबे ने जावेद अख़्तर के खिलाफ IPC की धारा 499 (मानहानि) और IPC की धारा 500 (मानहानि के लिए सजा) में मुकदमा चलाए जाने का अनुरोध किया था.
पेश किए गए दस्तावेज़ और बयानों के आधार पर 13 दिसंबर, 2022 को मजिस्ट्रेट पीके राउत ने जावेद अख़्तर को समन जारी किया था. अदालत ने IPC की धारा 499 (मानहानि) और IPC की धारा 500 (मानहानि के लिए सजा) के तहत समन जारी किया था.
मजिस्ट्रेट अदालत के समन के आदेश को चुनौति देते हुए जावेद अख़्तर ने अधिवक्ता जय के भारद्वाज के जरिए की गई अपील में कहा है कि मजिस्ट्रेट अदालत ने CrPC के तहत निर्धारित जांच प्रक्रिया अपनाए बिना समन जारी किया गया है.
साथ ही जावेद अख़्तर की ओर से दावा किया गया कि शिकायतकर्ता ने इस मामले में शिकायत दर्ज करने के लिए अपना लोकस स्टैन्डी (locus standi) बताने में विफल रहा हैं.
अधिवक्ता ने अदालत से कहा कि रिकॉर्ड के अनुसार शिकायतकर्ता ने आरएसएस की ओर से उनके खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए अपना अधिकार स्थापित करने से जुड़ा कोई भी दस्तावेज़ पेश नहीं किया गया है.
अपील में कहा गया है कि शिकायतकर्ता ने खुद को आरएसएस का supporter/volunteer/swayamsevak कहा है, लेकिन शिकायत पढ़ने से यह स्पष्ट नहीं है कि जावेद अख़्तर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने में उसकी क्या भूमिका है.
अपील में कहा गया कि मजिस्ट्रेट ने इस मामले में जल्दबाजी करते हुए समन जारी किया है और ना ही उन परिस्थितियों पर विचार किए बिना की यह बयान किस परिपेक्ष में दिया गया.
मुंबई की मुलुंड मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा भेजे गए समन के मुताबिक जावेद अख़्तर को आगामी 6 फरवरी को अदालत में हाजिर होकर अपना जवाब पेश करना था. लेकिन 6 फरवरी से पहले ही जावेद अख़्तर ने इस समन पर रोक लगाने को लेकर अपील दायर कर दी है.