नई दिल्ली: हमारे देश में केवल अपराध करने पर ही सजा नहीं होती, बल्कि किसी को अपराध के लिए बहकाने पर भी जेल की सजा का प्रावधान है. यानी कि अगर आप किसी को अपराध के लिए उकसा रहे हैं तो सावधान हो जाइये क्योंकि भले ही वो व्यक्ति आपके बहकावे में आकर उस अपराध को अंजाम ना दे लेकिन सिर्फ अपराध के लिए बहकाने के लिए भी आपको जेल की हवा खानी पड़ सकती है.आईए जानते हैं कि किस धारा के अंदर क्या है सजा का प्रावधान.
हमारे देश में होने वाले कुछ अपराधों को भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) परिभाषित (Define) करती है. साथ ही उन अपराधों के लिए क्या सजा (Punishment) मिलनी चाहिए ये भी उसमें बताया गया है. पहले आईपीसी (IPC) जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
IPC की धारा 116 की के तहत अगर कोई शख्स किसी को किसी भी तरह के अपराध के लिए बहकाता है, लेकिन बहकावे के बाद भी अगर अपराध नहीं होता फिर भी उकसाने वाले व्यक्ति को जेल से लेकर जुर्माने तक की सजा दी जा सकती है.
IPC की धारा 116 के अनुसार किसी व्यक्ति ने किसी दूसरे व्यक्ति को जिस भी अपराध के लिए उकसाया है उस अपराध को देखा जाता है. जिसके तहत उस अपराध में जितनी भी अधिकतम सजा निर्धारित की गई है उसकी एक चौथाई सजा उकसाने वाले को दी जाती है और जुर्माना भी लगाया जाता है. अदालत अपने अनुसार जेल के साथ जुर्माने की सजा भी सुना सकती है.
किसी अपराध के लिए उकसाने का मामले में सजा और भी सख्त हो जाती है जब उकसाने वाला व्यक्ति कोई लोक सेवक हो. इस धारा के अनुसार अगर भड़काने वाला कोई पुलिस ऑफिसर है या कोई नेता हो यानि की कोई भी पब्लिक सर्वेंट हो तो, उसे अपराध के लिए दी जाने वाली अधिकतम सजा की आधी सजा या जुर्माना लगाया जायेगा. इन्हे आधी सजा इस लिए दी जाती है क्योंकि इनके ऊपर अपराध को रोकने की जिम्मेदारी होती है.