नई दिल्ली,एनसीआरबी की और अगस्त में पेश कि गयी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 में तेज रफतार के चलते 87,050 और लापरवाही से वाहन चलाने के चलते 42,853 लोगों की जान चली गई. इस रिपोर्ट से ये भी सामने आया कि हमारे देश में सड़क हादसों की दो सबसे अहम वजह तेज रफ्तार और लापरवाही से वाहन चलाना रही.
इस रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में हुए कुल सड़क हादसों में से 1.9 प्रतिशत दुघर्टनाओं का कारण मादक पदार्थ या शराब के नशे में वाहन चलाना रहा. जिसके चलते कुल 2,935 लोगों की जान इन दुर्घटनाओं में गई. रिपोर्ट के अनुसार देश में हुए कुल सड़क हादसों में खतरनाक तरीके से वाहन चलाने और ओवरटेकिंग का योगदान 25.7 प्रतिशत है. खतरनाक तरीके से वाहन चलाने और ओवरटेकिंग की वजह से पिछले साल कुल 1 लाख से अधिक हादसे हुए जिनमें 42,853 लोगों की जान गई और 91,893 लोग घायल हुए.
लापरवाही से वाहन चलाने से होने वाली दुर्घटनाओं की बढती संख्या के चलते ही सरकार को ट्रैफिक से जुड़े नियमों में सख्त प्रावधान करने पड़े. ऐसा ही एक प्रावधान लापरवाही से वाहन चलाने को लेकर भी किया गया था. देश में ट्रैफिक नियमों के अनुसार लापरवाही से वाहन चलाकर दुर्घटना करने पर ही नहीं, बल्कि केवल मात्र लापरवाही से वाहन चलाते पकड़े जाने पर जेल की सजा होगी. पहले इस मामले में ट्रेफिक पुलिस ज्यादा मामले दर्ज नहीं करती थी जिसके चलते आम लोगो का इस नियम के बारे में बहुत कम जानकारी थी.
उदारीकरण के बाद देश में वाहनों की संख्या में हुई असंख्य बढोतरी और बढती दुर्घटनाओं के बाद देशभर में लापरवाही से वाहन चलाने के मामले में ना केवल गिरफतारी होने लगी. बल्कि अदालतों से सैकड़ो की तादाद नहीं, बल्कि हजारों ऐसे फैसले भी हुए जब केवल लापरवाही के चलते वाहन चलाने पर ड्राईवरों को जेल की सजा हुई.
IPC की धारा 379 के अनुसार एक व्यक्ति उतावलेपन और लापरवाही से वाहन चला रहा है जो किसी अन्य व्यक्ति के जीवन को खतरे में डालता है या चोट या चोट लगने की संभावना बनती हैं तो वह व्यक्ति इस अधिनियम के अंदर गिरफ्तार हो सकते हैं.
इस नियम के तहत पुलिस या शिकायतकर्ता को केवल दोषी ठहराए जाने के लिए यह साबित करना होगा कि जिस तरह से व्यक्ति वाहन चला रहा था, वह सड़क पर लोगों के जीवन को खतरे में डाल सकता था या संभावित रूप से चोट या चोट का कारण बन सकता था.
यदि कोई व्यक्ति निर्धारीत गति सीमा से अधिक वाहन चलाता है या सड़कों पर तेज गति से वाहन चलाता है, जिसे वह जानता है कि वह लापरवाही से व्यस्त है या यदि कोई व्यक्ति यातायात नियमों का पालन नहीं करता है, तो भी यह माना जाएगा कि वह व्यक्ति लापरवाही से वाहन चला रहा है. इस धारा के तहत दोषी ठहराए जाने के लिए दुर्घटना होना जरूरी नहीं है,
इस धारा के अनुसार अगर कोई किसी वाहन को एक सार्वजनिक मार्ग पर किसी भी तरह की जल्दबाजी या लापरवाही से चलाता है, जिससे किसी व्यक्ति के जीवन को कोई संकट होती है. तब उस ड्राइवर पर रैश ड्राइविंग का चार्ज लग सकता है. इसमें दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को 6 महीने की जेल हो सकती है. इसके अलावा, 1000 रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
यह एक जमानती और संज्ञेय अपराध है, यानी अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार किया जा सकता है. इस में एक बार मामला दर्ज हो जाने के बाद समझौता नहीं किया जा सकता।
लापरवाही से वाहन चलाने के मामले में कई बार धारा 279 के साथ धारा 337 भी लगाई जाती है. आईपीसी की धारा 337 के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति के उतावलेपन या लापरवाही के कारण, किसी अन्य व्यक्ति के जीवन को हानि या किसी कि व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरा होता है या चोट पहुंचती है, तो उस व्यक्ति पर इस धारा के अंतर्गत मुकदमा दर्ज़ किया जाएगा.
इस कानून में भी अपराध साबित होने या दोषी घोषित होने पर 6 महीने की जेल या पांच सौ (500) रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा दी जा सकती है.