सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज (5 फरवरी, 2024) को हरियाणा राज्य (Haryana State) की याचिका पर सुनवाई करते हुए एक नोटिस जारी किया. हरियाणा राज्य ने अपनी याचिका में पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट (Punjab and Haryana High Court) के उस फैसले चुनौती दिया है जिसमें हाईकोर्ट ने निजी क्षेत्र (Private Sector) में राज्य के लोगों को 75 प्रतिशत आरक्षण (Reservation) देने के फैसले को रद्द कर दिया था. ये नियम 30000 रूपये से कम वेतन वाले कामों के लिए लागू था. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इसमें हरियाणा राज्य ने दूसरे राज्य के गैर-निवासियों को दोयम दर्जे का नागरिक माना है.
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अरविंद कुमार की बेंच ने हरियाणा राज्य की इस विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य के उद्योग संघो को नोटिस जारी करते हुए उन हाईकोर्ट के फैसले के उन बिंदुओं पर जबाव मांगा है, जिस पर याचिका में आपत्ति जताई गई है. वहीं, राज्य की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल (Solicitor General) तुषार मेहता ने कहा कि फैसले में तथ्यों की कमी है.
17 नवंबर, 2023 के दिन पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट हरियाणा राज्य के प्राइवेट सेक्टर में निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत का आरक्षण देने के फैसले को रद्द कर दिया. राज्य ने अपने सीमा क्षेत्र में चल रहे प्राइवेट सेक्टर में इस व्यवस्था को लागू करने का निर्णय लिया था. इसे में लागू करने के लिए साल 2021 में विधानसभा में हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार अधिनियम, 2020 को पारित किया था.
हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों के रोजगार अधिनियम को 15 जनवरी, 2022 से लागू किया गया. हालांकि, अगले महीने फरवरी, 2022 में, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट इसकी वैधता को चुनौती देने के बाद कानून पर रोक लगा दी. हाईकोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया. साथ ही ये राज्य सरकार को इस मामले को हाईकोर्ट से फैसला मिलने तक प्राइवेट सेक्टर के कंपनियों पर कठोर कार्रवाई करने से मना किया. वहीं, नवंबर 2023 में हाईकोर्ट ने इस कानून को रद्द कर दिया. जिसे चुनौती देते हुए हरियाणा राज्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. हरियाणा राज्य ने सुप्रीम कोर्ट में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के प्राइवेट सेक्टर में 75 फीसदी रिजर्वेशन के नियम को रद्द करने के फैसले को चुनौती दी.