नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने गूगल की तीसरा पक्ष ऐप भुगतान नीति पर विचार करने संबंधी भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India -CCI) को जारी निर्देश के मामले में बुधवार को आयोग और स्टार्टअप संगठनों के प्रतिनिधि निकाय एडीआईएफ से अपना पक्ष पेश करने को कहा.
समाचार एजेंसी IANS के मुताबिक गूगल की अपील पर सीसीआई और अलायंस ऑफ डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (एडीआईएफ) को दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने नोटिस जारी किया.
गूगल ने न्यायालय की एकल पीठ के सीसीआई को दिए गए निर्देश को चुनौती दी है. एकल पीठ ने गत सोमवार को प्रतिस्पर्धा आयोग को निर्देश दिया था कि वह 26 अप्रैल तक गूगल की नई ऐप भुगतान नीति पर एडीआईएफ की आपत्तियों पर गौर करे.
इसके पहले आयोग कोरम के अभाव का हवाला देते हुए इसपर विचार करने से इनकार कर चुका था. देश में नवोन्मेषी स्टार्टअप कंपनियों के प्रतिनिधि संगठन एडीआईएफ ने कमीशन के आधार पर ऐप में खरीद की छूट और डाउनलोड की सुविधा देने की गूगल की नीति को चुनौती दी है.
इसने भुगतान कर डाउनलोड किए जाने वाले ऐप और ऐप के जरिये खरीद में बाहरी भुगतान सुविधा प्रदाताओं को कमीशन के आधार पर मंजूरी देने का विरोध किया है.
गूगल की तरफ से पेश हुए वकील साजन पूवैया ने कहा कि वह इस मामले में न्यायालय से किसी अंतरिम आदेश की मांग नहीं रख रहे हैं. इसपर पीठ ने संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया. इसके पहले उच्च न्यायालय ने एकल पीठ के आदेश के खिलाफ गूगल की अपील पर तत्काल सुनवाई करने की अपील मंगलवार को ठुकरा दी थी.
याचिकाकर्ताओं के अनुसार, गूगल की नई बिलिंग पॉलिसी गूगल प्ले बिलिंग सिस्टम का ही नया संस्करण है जो ऐप डेवलपर्स को तीसरे पक्ष को भुगतान करने के लिए प्रोसेसर चुनने की स्वतंत्रता का झांसा भर देता है. याचिका में कहा गया है कि नई बिलिंग पॉलिसी की आड़ में तीसरे पक्ष के भुगतान प्रोसेसर का उपयोग करने के बावजूद गूगल डेवलपर से मात्र चार प्रतिशत कम दर पर सेवा शुल्क वसूल करेगा.
याचिका में कहा गया है, वर्तमान में इस तरह के लेनदेन के लिए किसी भी कमीशन का भुगतान करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि इस तरह के लेनदेन में जीबीपीएस का उपयोग नहीं किया जाता है. जब गूगल की भुगतान सेवा का इस्तेमाल नहीं किया जाता है तो गूगल द्वारा 26 प्रतिशत कमीशन किसी भी हाल में नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि यह अनुचित और मनमाना है.
समाचार एजेंसी IANS के मुताबिक याचिकाकर्ता ने यह दावा किया है कि ऐप डेवलपर्स को जीपीबीएस का इस्तेमाल नहीं करने के बावजूद लगभग इतनी ही राशि का भुगतान करना होगा.
सीसीआई ने 25 अक्टूबर 2022 को एक आदेश पारित किया जिसमें गूगल को निर्देश दिया गया था कि वह ऐप डेवलपर्स पर ऐसी कोई शर्त न लगाए जो उन्हें प्रदान की जाने वाली सेवाओं के लिए अनुचित, बेतुका या भेदभावपूर्ण हो.
याचिका में यह निर्देश भी मांगा गया है कि सीसीआई गूगल के खिलाफ गैर-अनुपालन कार्यवाही शुरू करने के मामले में आवश्यकता के सिद्धांत को वैध रूप से लागू करे.
याचिका में कहा गया है, आवश्यकता के सिद्धांत को लागू करके सीसीआई ने बाजार और अर्थव्यवस्था के हित में प्रस्तावित संयोजनों को मंजूरी देना शुरू कर दिया है. सीसीआई द्वारा समान मानकों और गैर-भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण का भी पालन किया जाना चाहिए ताकि बाजार में जारी प्रतिस्पर्धा विरोधी आचरण से संबंधित जानकारी पर न्याय किया जा सके और उन पर रोक लगाई जा सके.