दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने पुरुषों को भारतीय सेना (Indian Army) में नर्स के पद पर नियुक्त करने से रोकने के पीछे की वजह जानने की कोशिश की. चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की डिवीजन बेंच ने पूछा कि अगर दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में एक महिला को तैनात किया जा सकता है तो सेना में नर्स के पद पर पुरुषों की भर्ती क्यों नहीं की जा सकती.
अदालत ने सैन्य नर्सिंग सेवा अध्यादेश 1943 और सैन्य नर्सिंग सेवा (भारत) नियम 1944 को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. अदालत ने इन नियमों पर सवाल उठाए. नियम के मुताबिक, केवल महिलाओं को भारतीय सैन्य नर्सिंग सेवा में नियुक्त किया जा सकता है.
क्या है पूरा मामला?
इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन ने 2018 में उन नियमों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया, जिनमें कहा गया था कि केवल महिलाएं ही सैन्य नर्सिंग सेवा में शामिल हो सकती हैं. याचिका में कहा गया है कि नर्सिंग को केवल महिलाओं का पेशा होने का ये रूढ़िवादी दृष्टिकोण उस पुराने दृष्टिकोण पर आधारित है जब केवल महिलाओं को नर्स के रूप में प्रशिक्षित किया जाता था. हालांकि, अब ऐसे कई हजार पुरुष हैं जिन्होंने इस पेशे में प्रशिक्षण और योग्यता प्राप्त की है.
याचिका में ये भी कहा गया कि ये नियम असंवैधानिक, अवैध और मनमाना है. इसे बदलने की जरूरत है.
एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी केंद्र सरकार की ओर से पेश हुईं. उन्होंने कोर्ट को बताया कि सरकार ने मामले में अपनी लिखित दलीलें दाखिल कर दी हैं. सेना में प्रैक्टिस लंबे समय से चली आ रही परंपराओं पर आधारित हैं. आज ही सरकार महिलाओं को आरक्षण देने के लिए कानून लेकर आई है.
इस पर हाईकोर्ट ने कहा, "हां, संसद में. एक तरफ आप महिलाओं को सशक्त बनाने की बात कर रहे हैं और दूसरी तरफ आप कह रहे हैं कि पुरुष नर्स के रूप में शामिल नहीं हो सकते. अगर एक महिला को सियाचिन में तैनात किया जा सकता है, तो एक पुरुष सेना में नर्स के रूप में काम कर सकता है."
आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अब महिलाओं को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल होने की अनुमति दे दी है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है कि कोई जेंडर पूर्वाग्रह नहीं होना चाहिए. इस बीच एक वकील ने कहा कि पुरुषों को सेवा से रोकने वाला अध्यादेश और नियम औपनिवेशिक है. अब हमारे पास सभी अस्पतालों में पुरुष नर्स हैं.
हाईकोर्ट ने कहा कि ये एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिस पर विचार-विमर्श की आवश्यकता है. इसके साथ ही कोर्ट ने मामले को नवंबर में आगे के विचार के लिए लिस्ट कर दिया.