नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत में जज के रूप में नियुक्त होने वाले जस्टिस अरविंद कुमार का गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शुक्रवार अंतिम कार्यदिवस था.
गुजरात हाईकोर्ट में उनके अंतिम कार्यदिवस पर हाईकोर्ट प्रशासन और बार एसोसिएशन सहित की ओर से विदाई दी गई. इस मौके पर आयोजित समारोह में गुजरात हाईकोर्ट के साथी जजों के साथ ही हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पदाधिकारी और अधिवक्ता शामिल हुए.
समारोह को संबोधित करते हुए जस्टिस अरविंद कुमार ने देश की आम जनता तक न्याय की पहुंच बनाने में अधिवक्ताओं के योगदान श्रेय देते हुए कहा कि एक अच्छे फैसले का श्रेय न केवल न्यायाधीश को जाना चाहिए, बल्कि उन अधिवक्ताओं को भी जाना चाहिए जो इस मामले में अच्छी तरह से बहस करते हैं.
साथ ही उन्होंने देश की अदालतों में पेंडिंग मुकदमों को लेकर कहा कि यदि मामलों को दशकों तक एक साथ पेंडिंग रखा जाता है, तो जजों को देश के लोगो के कोप भाजन के लिए तैयार रहना होगा.
जैसा कि उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि "मैंने नागरिकों के लिए न्याय का निर्वहन करने और न्यायिक प्रणाली में सुधार करने के लिए अपने स्तर पर पूरी कोशिश की है. मेरा मानना है कि अगर मामलों को अदालतों में दशकों तक पेंडिंग रखा जाता है, तो हमें न केवल पक्षकारों के अभिशाप को लेना होगा, बल्कि सभी पक्षकारों की न्यायसंगत आलोचना भी सहन करनी होगी.
गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरविंद कुमार को गुजरात न्यायपालिका में कई बड़े बदलावों के लिए जाना जाता है. 14 जुलाई 1962 को कर्नाटक में जन्मे जस्टिस अरविंद कुमार को वर्ष 2009 में तीन दशक के वकालात के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट जज नियुक्त किया गया था.
दिसंबर 2012 में उन्हे कर्नाटक हाईकोर्ट में ही पदोन्नति देते हुए स्थायी जज नियुक्त किया गया. करीब 9 वर्ष कर्नाटक हाईकोर्ट में जज रहने के बाद अक्टूबर 2021 में उन्हे गुजरात हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया.
देश के हाईकोर्ट जजों की वरिष्ठता क्रम के अनुसार जस्टिस अरविंद कुमार 26 नंबर पर है. कॉलेजियम ने 31 जनवरी 2023 को ही सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में नाम की सिफारिश केंद्र को भेजी थी.
केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद शुक्रवार को ही राष्ट्रपति भवन से उनके नियुक्ति वारंट जारी हुए है. वे सोमवार को सुबह 10.30 बजे सर्वोच्च अदालत में मुख्य न्यायाधीश कक्ष में आयोजित होने वाले सादे समारोह में सुप्रीम कोर्ट जज की शपथ लेंगे.
सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में नियुक्ति वारंट होने के साथ ही जस्टिस अरविंद कुमार को उनके साथ ही जजो सहित अधिवक्ताओं ने भी बधाई दी. अंतिम कार्यदिवस होने के चलते दोपहर बाद उनके सम्मान में विदाई समारोह का आयोजन किया गया था.
जस्टिस अरविंद कुमार इसी समारोह को संबोधित कर रहे थे. मुख्य न्यायाधीश कोर्ट रूम में आयोजित हुए इस रेफरेंस यानी विदाई समारोह में अधिवक्ताओं की बड़ी तादाद थी. खचाखच भरे कोर्ट-हॉल को संबोधित करते हुए जस्टिस कुमार ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान हाईकोर्ट जजों की समिति ने जिला अदालतों में लंबित पुराने मामलों की निगरानी की थी और उन्हें जल्द से जल्द निपटाने के लिए एक रोडमैप भी तैयार किया था.
जस्टिस कुमार रने कहा कि उनके नेतृत्व में हाईकोर्ट ने 30 वर्षों से लंबित कुल 175 मामलों का 85 दिनों के भीतर निपटारा किया है जो कि उनकी निगरानी के चलते ही संभव हुआ है.
विदाई समारोह को संबोधित करते हुए जस्टिस अरविंद कुमार ने कहा कि विवाद समाधान के बदलते प्रतिमानों के साथ तालमेल रखना सभी पक्षकारों, विशेष रूप से जजों और वकीलों का कर्तव्य है.
उन्होने कहा "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और वर्चुअल कोर्ट जैसे उभरते रुझान समय की आवश्यकता है. हमें ऑनलाइन विवाद समाधान के लिए एक रोडमैप तैयार करने की आवश्यकता है, जो न्याय वितरण प्रणाली तक पहुंच के लिए बाधाओं को तोड़ देगा. यहां तक कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता भी न्याय वितरण में सहायक होगी."
उन्होने कहा कि "जनता चाहती है कि विवाद समाधान प्रक्रिया आसान, तेज और मैत्रीपूर्ण हो. सामाजिक और आर्थिक रूप से दलितों को उनके अधिकारों की सुरक्षा और उपचार में समानता की आवश्यकता है.
उन्होने बार से आहवान किया कि बार और बेंच को सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.