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'कितने लोगों ने किया मतदान, ये डेटा बताने में क्या परेशानी है?' सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने वोटर टर्नआउट डेटा को लेकर चुनाव आयोग से जवाब तलब किया है. शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को 'फॉर्म 17सी' की स्कैनड कॉपी अपने वेबसाइट पर अपलोड करने में कितना वक्त लगेगा, बताने को कहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से वोटर टर्न आउट डेटा जारी करने में आने वाली दिक्कतों को बताने को कहा है.

Written by Satyam Kumar |Updated : May 18, 2024 5:28 PM IST

Voter Turnout Data: सुप्रीम कोर्ट ने वोटर टर्नआउट डेटा को लेकर चुनाव आयोग से जवाब तलब किया है. शीर्ष अदालत ने चुनाव आयोग को 'फॉर्म 17सी' की स्कैनड कॉपी अपने वेबसाइट पर अपलोड करने में कितना वक्त लगेगा, बताने को कहा है. फॉर्म 17सी में 'एक मतदान केन्द्र पर कितने वोट पड़े' की जानकारी होती है, जिसे वोटर टर्नआउट डेटा भी कहते हैं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने दो एनजीओ एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) और कॉमन कॉज की संयुक्त याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग से जवाब की मांग की है.

वोटर टर्न आउट डेटा बताने में क्या परेशानी है?

सुप्रीम कोर्ट में, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की. एनजीओ की ओर से सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण मौजूद रहें. वहीं, चुनाव आयोग का पक्ष एडवोकेट अमित शर्मा ने रखा.

संयुक्त याचिका पर करीब 4:30 बजे, मामले की सुनवाई शुरू हुई.

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सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने चुनाव आयोग के काउंसिल से पूछा,

"मिस्टर शर्मा, फॉर्म17सी को वेबसाइट पर डालने में क्या कठिनाई है?"

अमित शर्मा ने जवाब दिया,

"हम सभी बुथ से फॉर्म को मंगा रहे हैं,"

फार्म आते ही हम जल्द से जल्द इसे चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जमा कर देंगे.

सीजेआई ने कहा,

"पोलिंग ऑफिसर को फॉर्म-17सी रिटर्निंग ऑफिसर को जमा करना होता हैं?"

अमित शर्मा ने सूचित किया कि पर्चियां सेम डेट में नहीं पहुंचती है.

सीजेआई ने फिर पूछा,

"ठीक है, अगले दिन जब पर्चियां आ जाती है. तब क्यों नहीं अपलोड करते हैं? हम आपको उपयुक्त समय दे सकतें है"

अमित शर्मा ने बताया कि ये फार्म आने पर हम सभी डेटा का मिलान करते हैं. साथ ही इस प्रकार की जानकारी बाहर आने से नये वोटर्स बहुत प्रभावित होते हैं जिसका असर वोटिंग प्रतिशत पर पड़ता है. साथ ही फॉर्म-17सी सभी प्रत्याशी को दिया जाता है, जिससे अगर उन्हें कोई शिकायत हो, तो सवाल उठा सकते हैं.

अमित शर्मा ने ये भी कहा, रियल टाइम वोटर टर्नआउट ऐप द्वारा दिखाई गई जानकारी अंशकालिक होती है और वोटर टर्नआउट डेटा एवं फॉर्म 17सी की जानकारी में अंतर को मुद्दा बनाना उचित नहीं है.

सीजेआई ने कहा कि कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स, 1961 के 49एस नियम के मुताबिक पोलिंग एजेंट को फॉर्म 17सी दिया जाता है. और मतदान के बाद नियम 49v के मुताबिक मतदान अधिकारी को फॉर्म 17सी रिटर्निंग ऑफिसर को सौंपना होता है.

इसके बाद अदालत ने याचिकाकर्ता से सवाल किया. चार चरण के चुनाव हो चुके है, ऐसे में चुनाव आयोग से सभी वोटर टर्न आउट डेटा को अपलोड करने की बात कहां तक सही है.

प्रशांत भूषण ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एक आम चर्चा बनाई जा रही है कि फाइनल वोटिंग प्रतिशत में बढ़ा कर दिखाई जा रही है.

सीनियर वकील ने कहा,

"नागरिक चिंतित हैं. क्योंकि उन्हें लग रहा है कि ईवीएम को बदला जा रहा है. अचानक 6% की वृद्धि कैसे हुई है."

सीजेआई ने चुनाव आयोग से पूछा,

"आप 17सी डेटा को जारी क्यों नहीं करते? 17सी डेटा को जारी करने में क्या आपत्ति है?"

इसके बाद बेंच सुनवाई से उठ गई. साथ ही वेकेशन बेंच के सामने इस मामले को सूचीबद्ध करने की इजाजत दी है. मामले में अगली सुनवाई 24 मई को होगी.