नई दिल्ली: मद्रास उच्च न्यायालय (Madras High Court) के समक्ष एक मामला सामने आया जिसपर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने एक हाउसवाइफ के काम और मेहनत को महत्व देते हुए कहा है कि दिनभर परिवार के लिए काम करने वाली हाउसवाइफ अपने पति की संपाती की बराबर की हिस्सेदार है। मामला क्या था और मद्रास हाईकोर्ट ने क्या फैसला सुनाया है, आइए जानते हैं...
मद्रास हाईकोर्ट में एक मामला सामने आया है जिसमें याचिका ने कोर्ट से अपने स्वर्गवासी पति की संपत्ति में अपना बराबर का हिस्सा मांगा है। याचिकाकर्ता जो एक हाउसवाइफ हैं, उनका यह दावा है कि पहले उनके पति ने और पति के देहांत के बाद उनके बच्चों ने संपत्ति में उनके अधिकार को चुनौती दी और उसपर सवाल उठाए।
याचिकाकर्ता का कहना है कि 2015 में जब पांच में से तीन संपत्तियों पर उन्होंने अपने अधिकार का दावा किया था तब एक स्थानीय अदालत (Local Court) ने उनके दावे को खारिज कर दिया था। इस बार उच्च न्यायालय ने ऐसा नहीं किया है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायादीश कृष्णन रामसमी (Justice Krishnan Ramasamy) ने 21 जून को जजमेंट पास किया और उसमें याचिकाकर्ता को उनके स्वर्गवासी पति की संपत्ति में बराबर का हिस्सेदार माना है।
जस्टिस रामसमी ने अपने जजमेंट में यह कहा है कि माना कि देश में अब तक हाउसवाइफ के लिए कोई कानून (legislation) नहीं बना है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि अदालत भी एक हाउसवाइफ की मेहनत और योगदान को अहमियत नहीं दे सकता और उसे पहचान नहीं सकता।
अदालत ने कहा है कि अपने घर और परिवार के लिए एक गृहणी जो काम करती हैं, जिससे पति बाहर जाकर नौकरी कर सकें, उसे कोर्ट पहचानेगा और उसको अहमियत भी देगा। इसी के आधार पर अदालत संपत्ति में हिस्सेदारी को लेकर फैसला सुनाएगी। यदि एक महिला बाहर जाकर कोई काम नहीं करती है और अपनी शादी, घर और परिवार के लिए अपना जीवन निकाल देती है, तो यह गलत होगा कि अंत में उसके पास कुछ भी ऐसा न हो जिसे वो 'अपना' कह सके।
इसलिए यदि कोई संपत्ति डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तरह से पति और पत्नी ने साथ ली है, तो उसमें पत्नी का बराबर का हिस्सा होगा।