Nanded Hospital Death Case: महाराष्ट्र के सरकारी अस्पताल में मरीजों की मौत पर बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई. हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता है. दरअसल, महाराष्ट के नांदेड़ और संभाजीनगर में दो सरकारी अस्पतालों में हुई मौतों के बाद एक जनहित याचिका पर स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा था. चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस आरिफ ने कहा कि राज्य सरकार अस्पतालों में आने वाले मरीजों के भारी बोझ का हवाला देकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती.
आगे ने कहा,
"आप निजी कंपनियों पर जिम्मेदारी नहीं डाल सकते."
4 अक्टूबर को अदालत ने नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी कॉलेज अस्पताल और छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 30 सितंबर से 3 अक्टूबर के बीच हुई मौतों पर न्यूज रिपोर्टों पर स्वत: संज्ञान लिया. 30 सितंबर से 3 अक्टूबर के बीच हुई मौतों में बड़ी संख्या में नवजात बच्चे शामिल थे. न्यायाधीशों ने उन समाचार रिपोर्टों पर ध्यान दिया जिनमें कहा गया था कि बड़ी संख्या में मौतों का प्राथमिक कारण बिस्तरों, डॉक्टरों और आवश्यक दवाओं की कमी है.
एडवोकेट जनरल बिरेंद्र सराफ ने नांदेड़ अस्पताल के संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें कहा गया कि निजी और छोटे अस्पतालों द्वारा रेफर किए जाने के बाद मरीजों को बहुत गंभीर स्थिति में लाया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि मरने वाले 12 शिशुओं में से तीन का जन्म अस्पताल में हुआ था.
सराफ ने कहा,
"लगभग सभी वे लोग हैं जिन्हें अन्य अस्पतालों द्वारा रेफर किया गया था."
संभाजीनगर अस्पताल के संबंध में रिपोर्ट उपलब्ध नहीं थी. बीरेंद्र सराफ ने कहा कि अक्सर छोटे अस्पतालों में सुविधाएं नहीं होती और गंभीर स्थिति होने पर सरकारी अस्पतालों में रेफर कर दिया जाता है. सरकारी अस्पताल उन्हें भर्ती करते हैं और अपना सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयास करते हैं.
सराफ ने ये भी कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने संभागीय आयुक्तों को हर अस्पताल का निरीक्षण करने और 9 अक्टूबर की समीक्षा बैठक में उन्हें सूचित करने का निर्देश दिया है. न्यायाधीशों ने यह जानने पर राज्य सरकार को फटकार लगाई कि महाराष्ट्र मेडिकल सामान खरीद प्राधिकरण अधिनियम, 2023 के तहत मई में स्थापित महाराष्ट्र मेडिकल सामान खरीद प्राधिकरण में आज तक कोई पूर्ण सीईओ नहीं है और वह आयुक्तालय में जगह से काम कर रहा है.
चीफ जस्टिस ने पूछा,''यह प्राधिकरण एक कमरे में कैसे काम कर सकता है?''
विभिन्न निर्देशों के बीच, न्यायाधीशों ने सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा और औषधि के प्रमुख सचिवों को रिक्तियों को भरने के लिए पिछले छह महीनों में उठाए गए कदमों का विवरण देने का निर्देश दिया.
साथ ही, अदालत ने पिछले 6 महीनों में अस्पतालों द्वारा मेडिकल सामानों की खरीद के लिए की गई मांग और आपूर्ति की जानकारी देने के लिए कहा.