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Hindenburg Report की जांच की मांग को लेकर दायर PIL पर Supreme Court कल करेंगा सुनवाई

CJI DY Chandrachud के याचिका पर सहमति जताते हुए इस जनहित याचिका को भी दूसरी याचिका के साथ टैग करते हुए शुक्रवार को सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए है.

Written by Nizam Kantaliya |Published : February 9, 2023 6:24 AM IST

नई दिल्ली: देश और दुनिया में तहलका मचाने वाली हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट भी सुनवाई के लिए सहमत हो गया है. सीजेआई डी वाई चनद्रचूड़ ने पीठ ने इस मामले का शुक्रवार को सुनवाई करने के लिए सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए है.

गौरतलब है कि अडानी ग्रुप (Adani) के खिलाफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) की जांच की मांग वाली दो जनहित याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर है. अधिवक्ता एमएल शर्मा और विशाल तिवारी ने याचिका दायर करते हुए इसके पीछे के मकसद और रिपोर्ट की विस्तृत जांच के लिए ये याचिकाए दायर की हैं.

जनहित याचिका में हिंडबर्ग रिसर्च रिपोर्ट की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में एक समिति के गठन की भी मांग की गई है.

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शुक्रवार को सुनवाई

गुरूवार को न्यायालय समय के दौरान अधिवक्ता और याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए सीजेआई की पीठ के समक्ष मेंशन करते हुए अनुरोध किया. सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने पूछा कि इसमें मामला क्या है?

जिसके जवाब में याचिकाकर्ता एडवोकेट विशाल तिवारी ने कहा, "ऐसी ही एक याचिका कल भी आ रही है। यह हिंडनबर्ग रिपोर्ट से संबंधित है जिसने देश की छवि को धूमिल किया है और नुकसान पहुंचाया है, दूसरे मामले के साथ इस पर भी कल सुनवाई की जाए."

सीजेआई चन्द्रचूड़ के याचिका पर सहमति जताते हुए इस जनहित याचिका को भी दूसरी याचिका के साथ टैग करते हुए शुक्रवार को सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए है.

रिपोर्ट की जांच ​की मांग

गौररतलब है कि 24 जनवरी को अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में अडानी पर आरोपी लगाया गया है कि अपने स्टॉक की कीमतों को बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर हेराफेरी और अनाचार​ किया गया.

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद से, शेयर बाजार में अडानी के शेयरों में गिरावट आई है. स्टॉक की कीमतों में गिरावट के साथ अडानी समूह को अपने एफपीओ को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा.

अडानी ग्रुप की ओर से भी इस मामले में 413 पन्नों का जवाब प्रकाशित करके आरोपों का खंडन करते हुए इसे भारत के खिलाफ हमला बताया था.

हिंडनबर्ग ने एक रिज्वाइंडर के साथ यह कहते हुए पलटवार किया था कि धोखाधड़ी को राष्ट्रवाद द्वारा अस्पष्ट नहीं किया जा सकता है और वह अपनी रिपोर्ट पर कायम है.

एम एल शर्मा की याचिका में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के पीछे एक बड़ी साजिश होने की भी जांच की मांग की गई है.