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ACB के FIR दर्ज करने के फैसले पर लगी रोक, पूर्व SEBI चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच को Bombay HC से मिली बड़ी राहत

बॉम्बे हाई कोर्ट ने ACB को 4 मार्च तक कोई कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है, जब तक कि विशेष अदालत के आदेश पर FIR दर्ज करने के मामले में सुनवाई नहीं हो जाती.

Former SEBI Chief Maadhabi Buch, Bombay High Court

Written by Satyam Kumar |Published : March 3, 2025 2:21 PM IST

माधबी पुरी बुच का सेबी कार्यकाल 1 मार्च के दिन पूरा हो गया. अब वह पुर्व सेबी अध्यक्ष है. रिटायरमेंट से शुरू हुए सिलसिले के बीच माधवी बुच को बॉम्बे हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. बॉम्बे हाई कोर्ट ने उनके, तीन सेबी डायरेक्टर और दो बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के फैसले पर रोक लगा दी है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) को पूर्व सेबी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और पांच अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के विशेष अदालत के निर्देश पर 4 मार्च तक कार्रवाई करने से परहेज करने का आदेश दिया है. याचिकाकर्ताओं (पूर्व सेबी अध्यक्ष व अन्य) का तर्क है कि नोटिस के अभाव के कारण मजिस्ट्रेट कोर्ट का यह आदेश अवैध है, जबकि आरोप 1994 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध एक कंपनी से धोखाधड़ी से जुड़ा है.

Court ने बात रखने का मौका नहीं दिया

बुच, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक सुंदरारामन राममूर्ति और अन्य ने सोमवार को उच्च न्यायालय में याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने विशेष अदालत के आदेश को रद्द करने की मांग की. याचिकाकर्ताओं ने अदालत से कहा कि उन्हें सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया था और यह आदेश अवैध और मनमाना है. इस मामले को सुनवाई के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट के एकल न्यायाधीश जस्टिस एस जी डिगे के सामने लाया गया. अदालत ने कहा कि वह मंगलवार को याचिकाओं की सुनवाई करेगी और तब तक एसीबी को विशेष अदालत के आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया.

सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुच और तीन वर्तमान सेबी निदेशकों - अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण जी और कमलेश चंद्र वर्धन के लिए पेश हुए. वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के प्रबंध निदेशक सुंदरारामन राममूर्ति और पूर्व अध्यक्ष प्रमोद अग्रवाल के लिए उपस्थित रहे.

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शिकायत पर स्पेशल कोर्ट ने लिया संज्ञान

विशेष एसीबी अदालत के जज एस ई बंगर ने 1 मार्च को दिए गए आदेश में कहा कि नियामक लापरवाहियों और मिलीभगत के प्राइम फेसी (प्रथम दृष्टतया) सबूत हैं, जिसके लिए एक निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है. अदालत ने एसीबी को आदेश देते हुए कहा कि वह जांच की निगरानी करेगी और 30 दिनों के भीतर जांच की एक स्टेटस रिपोर्ट देने को कहा था. यह आदेश सापन श्रीवास्तव द्वारा दायर की गई शिकायत पर आधारित था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि आरोपियों ने बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, नियामक उल्लंघनों और भ्रष्टाचार में शामिल थे. आरोप 1994 में एक कंपनी की धोखाधड़ी सूचीकरण से संबंधित हैं, जिसमें दावा किया गया कि इसमें नियामक प्राधिकरणों की सक्रिय मिलीभगत थी.

रविवार को सेबी ने एक बयान में कहा कि वह इस आदेश को चुनौती देने के लिए उचित कानूनी कदम उठाएगा और सभी मामलों में नियामक अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है. सेबी ने कहा कि अदालत ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने और जांच करने के लिए पुलिस को निर्देश देने की अनुमति दी, हालांकि ये अधिकारी उस समय अपने पदों पर नहीं थे. वहीं, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज ने इस आवेदन को धोखधड़ी से पूर्ण व परेशान करनेवाला बताया. एक्सचेंज ने कहा कि यह आवेदन अदालत में प्रस्तुत किया गया है, जो कि किसी भी गंभीरता के बिना है और केवल परेशान करने के उद्देश्य से किया गया है.