National Consumer Disputes Redressal Commission: सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) को निर्देश दिया है कि न्यायापालिका की हाइरार्की को ध्यान रखा. उच्च अदालतों के फैसले का सम्मान करें. सर्वोच्च न्यायालय ने एनसीडीआरसी के दो सदस्यों को चेतावनी है. इन दो सदस्यों के सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के विरूद्ध जाकर एक कंपनी के निदेशक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था.
सुप्रीम कोर्ट में, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के निदेशक के खिलाफ अवमानना का मुकदमा भी रद्द कर दिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि वे शीर्ष अदालतों के फैसले को ध्यान में रखते में हुए अपना फैसला सुनाए. सुप्रीम कोर्ट ने NCDRC और लॉ अधिकारियों को हिदायत देते हुए कहा कि किसी मामले की सुनवाई करते समय ज्यूडिशयरी के पदानुक्रम को ध्यान में रखते हुए काम करना चाहिए साथ ही उनके फैसलों का सम्मान भी करना चाहिए.
बेंच ने कहा,
“तो ध्यान रखें कि यहां एक पार्टी है जिसने इस न्यायालय द्वारा अपने पक्ष में कार्रवाई पर रोक लगा दी है और उसने पलटकर पाया कि पुलिस एनसीडीआरसी द्वारा अनजाने में या अन्यथा पारित आदेशों के कारण गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही है। यही हमारे लिए बड़ी चिंता का विषय था."
1 मार्च 2024: सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी के डायरेक्टर को अंतरिम राहत दी थी.
8 मार्च 2024: NCDRC ने कंपनी के निदेशक को हलफनामा देकर जवाब देने के निर्देश दिए.
2 अप्रैल 2024: NCDRC ने कंपनी के निदेशक के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया.
सुनवाई के दौरान, NCDRC के दोनों सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी. सदस्यों ने कहा कि हमसे गलती हुई.
सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि 'अगर सभी अदालतें ऐसा करने लग जाएं, तो उच्च न्यायालय के फैसले का सम्मान ही खत्म हो जाएगा.
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को खारिज कर दी.