नई दिल्ली: फरीदाबाद में बड़े फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया गया. इस खेल का मास्टरमाइंड पुलिस के गिरफ्त में हैं. इस मामले में लोगों के साथ लाखों की ऑनलाइन ठगी की गई है. इस ठगी को अंजाम देने के लिए अपराधियों ने कम्प्यूटर इंटरनेट नेटवर्क और हार्डवेयर आदि का इस्तेमाल किया है. ऐसा नहीं है कि ये मामला पहली बार हुआ है. इस तरह के साइबर ठगी को रोकने के लिए आईटी एक्ट (Information Technology) और आईपीसी (Indian Penal Code) के तहत कई और सेक्शन हैं. जिसके तहत कड़े सजा के प्रावधान हैं. आईए जानते हैं क्या कहता है कानून.
जब कोई अपराधी डिजिटल प्लेटफॉर्म या कम्प्यूटर जैसे डिवाइस का प्रयोग कर किसी के साथ धोखा या जालसाजी करता है तो वो साइबर धोखाधड़ी कहलाता है.
इस तरह के अपराध आईटी एक्ट( cyber crime information technology act) और भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत आते हैं. आईटी एक्ट, 2000, जो 17 अक्टूबर, 2000 में लागू हुआ. यह कानून साइबर क्राइम और इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स से संबंधित है.आईटी एक्ट को बाद में वर्ष 2008 में संशोधित किया गया था.
सेक्शन 65 - अगर कोई कंप्यूटर सोर्स डॉक्टूमेंट्स के साथ छेड़छाड़ करते हुए पकड़ा जाता है तो दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की सजा और/या 2 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
सेक्शन 66 - कंप्यूटर सिस्टम के साथ हैकिंग या कंप्यूटर सिस्टम और नेटवर्क का अनऑथराइज्ड इस्तेमाल करना. इसके तहत दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की कैद और/या 5 लाख रुपये तक का फाइन लग सकता है.
सेक्शन 66C- फ्रॉड के लिए पासवर्ड, डिजिटल हस्ताक्षर, बायोमेट्रिक अंगूठे के निशान या किसी अन्य व्यक्ति की पहचान की अन्य चीजों का उपयोग करके पहचान की चोरी करना. इसमें शामिल अपराधी पर धारा 66C के तहत मामला दर्ज किया जाता है.
सेक्शन 66D- कंप्यूटर रिसोर्स का इस्तेमाल करके लोगों के साथ फ्रॉड करना. दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की कैद और/या 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.
सेक्शन 66E - निजी क्षेत्रों की फोटो लेना, किसी व्यक्ति की सहमति के बिना उन्हें पब्लिश करना या फैलाना इस धारा के तहत एक दंडनीय अपराध है. दोषी पाए जाने पर अपराधी को 3 साल तक की कैद और/या 2 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.
सेक्शन 66F- साइबर टेरर एक्ट. इसके तहत दोषी को आजीवन कारावास की सजा मिल सकती है.
सेक्शन 67- इलेक्ट्रॉनिक तरीका अपनाकर अश्लील मेसेज पब्लिश करना. इस मामले में आरोपित को 5 साल तक की कैद और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना है लग सकता है.
सेक्शन 379- कई साइबर क्राइम चोरी के मोबाइल, कंप्यूटर या चोरी के डाटा का इस्तेमाल करके किए जाते हैं. इसके तहत चोरी के लिए 3 साल तक की सजा और/या जुर्माना लगाया जा सकता है.
सेक्शन 420- IPC का यह सेक्शन फ्रॉड करने या फ्रॉड वाली वेबसाइट बनाने के लिए पासवर्ड चोरी से संबंधित अपराधों से जुड़ा है. धोखा देना और बेईमानी से संपत्ति की सुपुर्दगी के लिए प्रेरित करना. फेक वेबसाइट बनाने, साइबर फ्रॉड जैसे साइबर क्राइम आईपीसी के इस सेक्शन के तहत 7 साल की जेल और या जुर्माना लग सकता है.
सेक्शन 463- झूठे दस्तावेज या झूठे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाना, ईमेल स्पूफिंग भी अपराध है जिसके लिए इस सेक्शन के तहत 7 साल तक की कैद और/या जुर्माने की सजा है.
सेक्शन 468 - फ्रॉड के लिए जालसाजी करने पर 7 साल तक की कैद और/या जुर्माना हो सकता है. यह एक दंडनीय अपराध है. इस सेक्शन के तहत सजा दी जाती है.
हैकिंग एवं अनधिकृत प्रवेश- किसी भी व्यक्ति के सिस्टम, कंप्यूटर या नेटवर्क में बिना व्यक्ति की अनुमति के प्रवेश ही हैकिंग और अनधिकृत प्रवेश कहलाता है. इसका मुख्य उद्देश्य होता है लोगों कि नीजी जामकारी चुराना. है
साइबर स्टॉकिंग– आज कल लोगों सोशल मीडिया पर ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारते हैं. यहां कुछ अपराधी प्रवृति के लोग उनका पीछा करते है और उन्हे परेशान करते हैं. पीड़ित को फॉलो करते हैं, धमकी भरे मेसेजे भेजते हैं, बार-बार फोन करते है, अश्लील तस्वीरें भेजते हैं एवं इसी प्रकार के अन्य कृत्यों के माध्यम से दूसरे व्यक्ति को परेशान करते है
ऑनलाइन ठगी करना- इसके तहत अपराधियों के द्वारा हैकिंग के माध्यम से यूजर की बैंकिंग सम्बंधित जानकारियां चुरा ली जाती है और इसके माध्यम से यूजर के बैंक अकाउंट से पूरी रकम साफ कर दी जाती है.
पहचान का अनधिकृत इस्तेमाल- किसी और की फोटो चुराकर अलग-अकाउंट बनाकर इसका गलत इस्तेमाल करना भी साइबर क्राइम का प्रमुख प्रकार है.
फिशिंग- इसके तहत साइबर क्रिमिनल द्वारा यूजर को स्पैम ईमेल भेजी जाती है जहाँ लिंक पर या अटैचमेंट पर क्लिक करके आपके सिस्टम को हैक किया जा सकता है.
वायरस सॉफ्टवेयर– हैकर्स के द्वारा वायरस सॉफ्टवेयर के माध्यम से भी साइबर क्राइम को अंजाम दिया जाता है.
साइबर बुलिंग– साइबर-बुलिंग का अर्थ है लोगो को सोशल मीडिया या अन्य इंटरनेट प्लेटफार्म की सहायता से परेशान करना . ऑनलाइन ब्लैकमेल करना एवं अन्य ऑनलाइन तरीके से किसी व्यक्ति को परेशान करना भी साइबर-बुलिंग के अंतर्गत आता है.