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बच्चे पैदा करना एक विकल्प है और महिलाओं को उस जिम्मेदारी के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए: CJI

तमिलनाडु में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए CJI DY Chandrachud ने महिलाओं को लेकर चली आ रही रूढीवादी धारणाओं का सख्त विरोध किया है. उन्होने महिलाओंं को समान अवसर प्रदान करने की वकालत की है.

Written by Nizam Kantaliya |Published : March 26, 2023 4:26 AM IST

नई दिल्ली: सीजेआई डी वाई चन्द्रचूड़ ने कहा है कि हमें अपने सामाजिक पूर्वाग्रहों को दूर करने की दिशा में काम करने के साथ ही अपनी संस्कृति, अपनी भाषा, अपनी विरासत को संरक्षित करने की दिशा में काम करना चाहिए.

CJI ने कहा कि हमें महिलाओं के लिए समान अवसर पैदा करने होंगे ताकि वे रास्ते से न भटकें क्योंकि वे जीवन में आगे बढ़ने के साथ-साथ कई गुना जिम्मेदारियां उठाती हैं."

CJI DY Chandrachud शनिवार को मुदरई में मद्रास हाईकोर्ट की ओर से आयोजित जिला अदालत के additional court buildings के शिलान्यास समारोह को संबोधित कर रहे थे. इस कार्यक्रम में तमिलनाडु सीएम स्टालीन और केन्द्रीय काूनन मंत्री किरेन रीजीजू सहित मद्रास हाईकोर्ट के अधिकांश जज मौजूद थे.

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CJI ने तमिलनाडु में महिला अधिवक्ताओं की कम संख्या की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि आकड़े बताते है कि तमिलनाडु में 50,000 पुरुष नामांकन की जगह केवल 5,000 महिलाओं के नामांकन हैं"

जिम्मेदारी के लिए दंड क्यों

CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि कानूनी पेशा एक समान अवसर प्रदाता नहीं है और यही आंकड़े पुरे देशभर में एक समान है. उन्होने कहा कि जिला न्यायपालिका में हाल ही में हुई भर्ती में 50% से अधिक महिलाएं आई है, लेकिन हमें महिलाओं के लिए समान अवसर पैदा करने होंगे ताकि वे रास्ते से न भटकें क्योंकि वे जीवन में आगे बढ़ने के साथ-साथ कई गुना जिम्मेदारियां उठाती हैं।"

CJI ने देश में महिलाओं के खिलाफ चली आ रही दो प्रमुख रूढिवादी धारणाओं का जिक्र करते हुए कहाा कि "सबसे पहले, भर्ती करने वाले का मानना ​​है कि महिलाएं पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण काम पर लंबे समय तक काम करने में असमर्थ होंगी.

हम सभी को यह समझना चाहिए कि बच्चे पैदा करना एक विकल्प है और महिलाओं को उस जिम्मेदारी को उठाने के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए. CJI ने कहा कि एक पुरुष अधिवक्ता भी चाइल्ड केयर में सक्रिय रूप से शामिल होना चुन सकता है.

पूर्वागह और धारणाए बदलनी होगी

सीजेआई ने कहा कि समाज कैसे कार्य करता है, इस बारे में अपनी समझ पर आत्मनिरीक्षण करने का समय है, उन्होने कहा कि हम अपने आप से पूछें कि क्या हमारी आपकी मान्यताएँ तर्कसंगत हैं और तर्क द्वारा समर्थित हैं.

उन्होने कहा कि हमें अपने खुले दिमाग से caste system, gender disability, और Constitutional minorities पर अपने अंधविश्वास को हटाना होगा.क्योंकि, यह केवल एक तर्कसंगत समाज है जिसे सदियों बाद याद किया जाएगा।"

CJI ने कहा "लेकिन एक समाज के रूप में, हम परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी केवल महिलाओं पर डालते हैं और फिर उस पूर्वाग्रह का उपयोग करते हैं जिसके खिलाफ हम उन्हें अवसरों से वंचित करते हैं,"

CJI ने मद्रास हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से आहवान किया कि तमिलनाडु की सभी जिला अदालतों में क्रेच की सुविधा स्थापित करने के लिए कदम उठाएं, यह कहते हुए कि यह काम करने की स्थिति में सुधार लाने और महिलाओं के लिए समान अवसर प्रदान करने में अहम भूमिका निभाएगा