नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तरप्रदेश सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया है जिसके जरिए सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले केा चुनौती दी थी जिसमें हाईकोर्ट ने मामले में पीड़िता के परिवार के सदस्य को नौकरी देने के आदेश दिए थे.
CJI DY Chandrachud, Justice PS Narasimha और Justice JB Pardiwala की पीठ ने राज्य सरकार द्वारा इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील करने पर हैरानी भी जताई.
अपील पर सुनवाई के दौरान उत्तरप्रदेश सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने पीठ के समक्ष कानूनी बिंदू के रूप में सवाल करते हुए कहा कि क्या पीड़िता के बड़े विवाहिता भाई को आश्रित की श्रेणी मे माना जा सकता है.
प्रसाद ने पीठ को बताया कि राज्य सरकार परिवार को स्थानांतरित करने के लिए तैयार है, लेकिन "वे नोएडा या गाजियाबाद या दिल्ली स्थानान्तरण होना चाहते हैं".
अतिरिक्त् महाधिवक्ता ने पीठ से अनुरोध किया कि पीड़िता के बड़े विवाहिता भाई को आश्रित की श्रेणी मे शामिल करने के कानून सवाल को खुला रखा जाए.
CJI ने सरकार के इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि पीठ इस मामले में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है क्योकि हाईकोर्ट ने मामले के विशेष तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए आदेश दिया है.
उत्तरप्रदेश सरकार ने Allahabad High court के 26 जुलाई 2022 के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, इस फैसले में हाईकोर्ट ने पीड़ित परिवार को दूसरी जगह पुर्नस्थापित करने और परिवार के सदस्य को नोकरी देने के आदेश दिए थे.
गौरतलब है कि हाथरस केस में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्वप्रेणा प्रंसज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई करते हुए पीड़िता के परिवार को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश दिया था.
उत्तरप्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को संविधान के खिलाफ बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी.