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Haryana Judges Paper Leak Case: दिल्ली कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा HC के पूर्व रजिस्ट्रार सहित दो लोगों को सुनाई सजा, 6 को बरी किया

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक शाखा) परीक्षा पेपर लीक मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व रजिस्ट्रार (भर्ती) समेत दो व्यक्तियों को सजा सुनाई. अदालत ने अपर्याप्त सबूतों के कारण छह अन्य आरोपियों को बरी किया है.

राउज एवेन्यू कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Updated : August 24, 2024 11:01 AM IST

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने गुरुवार को हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक शाखा) परीक्षा पेपर लीक मामले में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व रजिस्ट्रार (भर्ती) समेत दो व्यक्तियों को सजा सुनाई. अदालत ने अपर्याप्त सबूतों के कारण छह अन्य आरोपियों को बरी किया है. हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक शाखा) प्रारंभिक परीक्षा 2017 के पेपर लीक से जुड़े इस मामले की शुरुआत में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा जांच की गई थी और बाद में फरवरी 2021 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इसे दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था.

दो आरोपियों को पांच साल जेल की सजा, डेढ़ लाख रूपये का जुर्माना भी लगाया

पूर्व रजिस्ट्रार बलविंदर कुमार शर्मा और मुख्य आरोपी सुनीता को 5-5 साल कैद की सजा सुनाई गई. शर्मा पर 1,50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया, जबकि सुनीता पर 60,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया. तीसरी दोषी सुशीला को मुकदमे के दौरान पहले से ही बिताई गई अवधि के लिए रिहा कर दिया गया, लेकिन उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया.

अदालत ने लीक में शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका को नोट किया, क्योंकि उसके पास प्रश्नपत्र का एकमात्र कब्जा था और उसने इसे सुनीता को दिया, जिसने फिर इसे सुशीला और अन्य लोगों के साथ साझा किया. फैसले में परीक्षा प्रक्रिया पर इस तरह के लीक के प्रभाव पर जोर दिया गया और सार्वजनिक परीक्षाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए कड़े कानून और सुधार की मांग की गई है.

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अदालत ने सुनीता को आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 409 (लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात), 411 (बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करना) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की धारा 13(1)(डी) के तहत दोषी ठहराया। शर्मा को उन्हीं आईपीसी धाराओं और पीसी एक्ट के तहत दोषी ठहराया गया, जबकि सुशीला को आईपीसी की धारा 411 के तहत दोषी ठहराया गया.

अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजन चरणजीत सिंह बख्शी, अधिवक्ता मनोज गढ़ और अमित साहनी ने दलीलें पेश कीं. एसपीपी ने कहा कि एचसीएस (न्यायिक) पेपर-2017 तत्कालीन रजिस्ट्रार (भर्ती) बलविंदर कुमार शर्मा द्वारा लीक किया गया था. एसपीपी ने यह भी तर्क दिया कि आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ घटनाओं की श्रृंखला निर्णायक है, जिससे कोई संदेह नहीं रह जाता है जिसके लिए आरोपी किसी राहत का दावा कर सकते हैं. मौखिक, इलेक्ट्रॉनिक, दस्तावेजी और वैज्ञानिक साक्ष्य यह स्थापित करते हैं कि तत्कालीन रजिस्ट्रार ने इस प्रतिष्ठित परीक्षा का प्रश्नपत्र अपनी करीबी दोस्त सुनीता को सौंपा था, जिसने फिर इसे कई संभावित उम्मीदवारों के साथ अवैध रिश्वत के लिए साझा किया.

जबकि आरोपी बलविंदर कुमार शर्मा, तत्कालीन रजिस्ट्रार (भर्ती) ने आरोपी के रूप में अपने बयान (धारा 313 सीआरपीसी के तहत) में आरोप लगाया है कि परीक्षा के पेपर न्यायमूर्ति अजय कुमार मित्तल की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय समिति के पास थे. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अंतिम प्रश्नपत्र न्यायमूर्ति अजय कुमार मित्तल के पास थे और उनके निर्देश पर उन्हें फंसाने के लिए फर्जी और झूठी जांच का आदेश दिया गया और उन्होंने खुद को निर्दोष बताया.

हाल ही में, दिल्ली हाईकोर्ट ने जजों के पेपर लीक मामले की सुनवाई पूरी करने के लिए तीन महीने देते हुए मामले की रोजाना सुनवाई करने का निर्देश दिया था. इस एफआईआर को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 15.09.2017 को एक आदेश में एक उम्मीदवार द्वारा दायर याचिका पर दर्ज करने का आदेश दिया गया था.

2021 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया. अभियोजन पक्ष के अनुसार, चंडीगढ़ पुलिस ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्देशों के अनुसरण में एफआईआर दर्ज की और यह मामला हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक शाखा) प्रारंभिक परीक्षा, 2017 के लीक से जुड़ा है. इस मामले में कुल 9 आरोपी हैं, जिनमें रजिस्ट्रार भर्ती भी शामिल है, जिन्होंने कथित तौर पर पेपर लीक किया था. आरोपी या तो उम्मीदवार थे या उम्मीदवारों के रिश्तेदार थे जिनके साथ पेपर साझा किया गया था.