सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को सुनवाई के लिए रजामंदी दे दी है. कोर्ट ने पाया कि मंदिर के जीर्णोद्धार (Restoration of Temple) से जुड़ा मुकदमा सुनवाई योग्य है. सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) से जुड़े मामले में सुनवाई करने की रजामंदी दे दी है. मुस्लिम पक्ष (Muslim Side) ज्ञानवापी मस्जिद पर अपने दावे के साथ सुप्रीम कोर्ट गए है. उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के फैसले को चुनौती दी है.
ज्ञानवापी मस्जिद समिति ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की पांचो याचिकाएं खारिज कर दी थी. और इस मामले को पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के अंतर्गत हस्तक्षेप करने से मना कर दिया था.
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले को सुना. बेंच ने कहा, कि "हम इसे मुख्य मामले के साथ टैग करेंगे."
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर पांच याचिकाओं को खारिज कर दिया था. अदालत के आदेश में कहा गया कि वाराणसी अदालत के समक्ष लंबित मंदिर के जीर्णोद्धार की मांग करने वाला एक दीवानी मुकदमा सुनवाई योग्य है.
मुकदमा ज्ञानवापी मस्जिद की जगह पर हिंदू मंदिर होने का है. हिंदू पक्ष उस जगह पर मंदिर की मांग कर रहे हैं. हिंदू पक्ष के अनुसार, मस्जिद का निर्माण एक मंदिर के अवशेषों पर किया गया था, जो इसे धार्मिक संरचना का एक अभिन्न अंग है. वहीं, मुस्लिम पक्ष पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के हवाले से इस जगह पर अपनी दावे को रख रहे है.
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अन्य पक्षों के साथ ज्ञानवापी मस्जिद के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने तर्क दिया कि मुकदमे को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के तहत प्रतिबंधित किया गया था.