नई दिल्ली: देश की न्यायपालिका में Gujarat High Court एक नये अध्याय की शुरूआत करने जा रहा हैं. गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार के निर्देश पर शीघ्र ही गुजरात की जिला न्यायपालिका भी अपने मुकदमों की सुनवाई की live streaming करने जा रहा है.
जिला अदालतों में मुकदमों की सुनवाई का सीधा प्रसारण का प्रयास अगर सफल होता है तो देश की न्यायपालिका में जिला अदातलों की सुनवाई का live streaming करने वाला Gujarat देश का पहला राज्य बन जाएगा.
जिला अदालतों में मुकदमों की सुनवाई की live streaming के लिए हाईकोर्ट प्रशासन ने SOP भी जारी कर दी है.जारी की गयी SOP के अनुसार, गुजरात के सभी 32 जिला अदालतों में लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी और इसके लिए आवश्यक कप्यूटर, कैमरे सहित हार्डवेयर उपलब्ध करा दिए गए है.
हाईकोर्ट की टेक्नीकल टीम के साथ साथ आईटी सेल की टीम शीघ्र ही इस पायलट प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने जा रही है. सभी जिलों में लाइव स्ट्रीमिंग के लिए इस टीम द्वारा हरी झण्डी दिए जाने पर लॉंच किया जाएगा.
लाइव स्ट्रीमिंग के इस पायलट प्रोजेक्ट का नेतृत्व गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) अरविंद कुमार कर रहे है.चीफ जस्टिस अरविंद कुमार को देश की न्यायपालिका में आधुनिकीकरण के एक प्रेरक के तौर के पर देखा जाता हैं. पूर्व सीजेआई यूयू ललित भी उनके प्रयायों के लिए उदयपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में जमकर तारीफ कर चुके है.
मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर गुजरात हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने राज्य के सभी जिलों के प्रिसिपल जिला एवं सत्र न्यायाधिशों को SOP को लेकर पत्र लिखा है. इस पत्र के जरिए हाईकोर्ट ने सभी जिला अदालतों को लाइव स्ट्रीमिंग के पायलट प्रोजेक्ट का कार्यान्वयन के लिए तैयार रहने के लिए कहा है. पत्र के अनुसार गुजरात राज्य की इन अदालतों में शीघ्र ही इस प्रोजेक्ट को लॉन्च कर दिया जाएगा.
हाईकोर्ट के Registrar General RK Desai की ओर से लिखे गए इस पत्र में कहा गया हैं कि सुप्रीम कोर्ट ई कमेटी की ओर से Live Streaming को लेकर जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार ही राज्य में लाइव स्ट्रीमिंग के लिए नियम बनाए जाऐंगे.
इस प्रोजेक्ट के तहत, गुजरात हाईकोर्ट के अधीन आने वाले राज्य के 32 जिलों के Principal District Judges की अदालतों और City Civil Court, Ahmedabad की अदालत में सबसे पहले live streaming शुरू की जाएगी.
जिला अदालतों में मुकदमों की सुनवाई का सीधा प्रसारण की तैयारी करने जा रहे गुजरात हाईकोर्ट के साथ पहले से ही एक बड़ी उपलब्धी हैं. देश में कोविड महामारी के दौरान अदालतों की सुनवाई का सीधा प्रसारण करने वाला भी गुजरात हाईकोर्ट देश का पहला हाईकोर्ट था. कोविड के चलते गुजरात हाईकोर्ट की सभी बेंचों ने 24 मार्च, 2020 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई शुरू की थी.
वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए मुकदमों की सुनवाई की शुरूआत करने के करीब 6 माह बाद 26 अक्टूबर, 2020 को गुजरात हाईकोर्ट के तत्कालिन मुख्य न्यायाधीश और वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस विक्रमनाथ ने गुजरात हाईकोर्ट की सभी बेंचो में मुकदमों की सुनवाई का यूट्यूब पर सीधा प्रसारण करने की अनुमति प्रदान कर दी.
26 अक्टूबर, 2020 को गुजरात हाई कोर्ट की पहली प्रयोगात्मक लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की गयी. हो गई है. इसे देखने के लिए हाई कोर्ट की वेबसाइट पर लिंक उपलब्ध कराया गया है.
19 जुलाई, 2021 को गुजरात हाईकोर्ट ने एक कदम आगे बढाते हुए हाईकोर्ट की सभी 18 अदालतों का सीधा प्रसारण शुरू कर दिया. ऐसा करने वाला भी गुजरात हाईकोर्ट देश का पहला हाईकोर्ट था.live streaming से दो दिन पूर्व ही 17 जुलाई को देश के तत्कालिन सीजेआई एन वी रमन्ना ने इसका उद्घाटन किया था.
देश की न्यायपालिका में अदालतों की live streaming का सफर आसान नहीं रहा है. एक समय ऐसा भी था ऐसी मांग करने पर ही अदालत सख्त हिदायत के साथ फटकार लगा देती थी. वर्ष 2010 तक भी देश के अलग अलग हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में कई याचिकाए दायर की गयी, लेकिन उनका हश्र भी वैसा ही हुआ.
1950 में सुप्रीम कोर्ट के स्थापना के बाद से 71 सालों के इतिहास में 27 सितंबर, 2022 वो दिन था जब देश की सर्वोच्च अदालत की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया गया.
संविधान पीठों की कार्यवाही को लाइव स्ट्रीम करने का निर्णय अदालत द्वारा 20 सितंबर, 2022 को लिया गया था और इसके तुरंत बाद रजिस्ट्री द्वारा ट्रायल रन किया गया था।
देश की सर्वोच्च अदालत में मुकदमें की सुनवाई के सीधा प्रसारण से पूर्व 26 अगस्त, 2022 को तत्कालिन सीजेआई एनवी रमना की औपचारिक पीठ के समक्ष हुई कार्यवाही को जनता के लिए लाइव-स्ट्रीम किया गया था.
लंबी जद्दोजहद के बाद 26 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने देश की अदालतोंं में मुकदमों की सुनवाई की Live streaming को लेकर ऐतिहासिक फैसला दिया था.
सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि अदालती कार्यवाही का सीधा प्रसारण संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत न्याय प्राप्त करने के अधिकार का हिस्सा है.
फैसला देने वाली पीठ के तीन सदस्यों में तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शामिल थे.
जस्टिस डी वाई चन्द्रचूड़ वर्तमान में देश के 50 वें मुख्य न्यायाधीश है.