अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने उस जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से बुधवार को इनकार कर दिया, जिसमें पुलिस को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र शास्त्री के ‘दिव्य दरबारों’ के दौरान सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देने वाली कोई गतिविधि न हो.
धीरेंद्र शास्त्री मध्य प्रदेश के छतरपुर जिला स्थित बागेश्वर धाम के प्रमुख हैं. न्यायमूर्ति एस वी पिंटो ने जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया.
न्यूज़ एजेंसी भाषा के अनुसार, याचिकाकर्ता ने इस आधार पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था कि स्वयंभू बाबा का ‘दिव्य दरबार’ कार्यक्रम 26 मई से शुरू होने वाला है. याचिकाकर्ता अधिवक्ता के आर कोष्टी ने अदालत को बताया कि शास्त्री के ‘दिव्य दरबार’ गुजरात के चार शहरों - सूरत, अहमदाबाद, वडोदरा और राजकोट में 26 मई से सात जून के बीच लगेंगे.
याचिकाकर्ता ने अदालत से अनुरोध किया कि अधिकारियों को प्रस्तावित कार्यक्रमों में वक्ताओं को भड़काऊ और डराने-धमकाने वाली भाषा का इस्तेमाल करने से रोकने के निर्देश दिये जाये.
याचिकाकर्ता ने यह भी दावा किया कि राज्य सरकार ने ‘तहसीन पूनावाला मामले’ में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को लागू नहीं किया है, जिसमें इसके लिए रोकथाम और उपचारात्मक उपाय निर्धारित किए गए हैं.
याचिकाकर्ता ने अनुसार, शास्त्री के खिलाफ राजस्थान के उदयपुर में कथित अभद्र भाषा के इस्तेमाल को लेकर मामला दर्ज किया गया है और इसी तरह की मांग मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में उनके कार्यक्रमों के बाद की गई थी.