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Bilkis Bano Case: दोषियों ने 15 दिन पहले किया था सरेंडर, अब एक को Gujarat High Court ने दिया Parole, जानें सुनवाई के दौरान क्या कुछ कहा

गुजरात हाईकोर्ट ने बिल्किस बानो केस के ग्यारह में से एक दोषी को 5 दिनों की पैरोल दिया है. जाने याचिका के सुनवाई के दौरान कोर्ट ने क्या कहा....

Written by My Lord Team |Published : February 9, 2024 3:12 PM IST

बिल्किस बानो गैंगरेप केस (Bilkis Bano Gang Rape case) के 11 दोषियों ने जेल में सरेंडर किया था. अब उन 11 में से एक दोषी को पैरोल (Parole) मिली है. दोषी ने गुजरात हाईकोर्ट से अपने श्वसुर (Father in Law) की मौत की सूचना देते हुए 30 दिनों की पैरोल मांगी. गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने विषय की गंभीरता को देखते हुए और जेल में अच्छे आचरण की वजह से 5 दिनों का पैरोल दिया है.

5 दिनों की मिली पैरोल

जस्टिस एम. आर. मेंगडे (Justice MR Mengdey) ने इस याचिका पर सुनवाई की. ये याचिका बिल्किस बानो गैंगरेप केस के ग्यारह दोषी में से एक प्रदीपभाई राममलाल मोदिया (Pradipbhai Ramamlal Modiya)ने दायर किया. याचिकाकर्ता ने अपने श्वसुर के श्राद्ध कर्म में शामिल होने की मांग की थी. इसके लिए उसने 30 दिनों की पैरौल मांगी थी.

कोर्ट ने कहा,

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इस याचिका को आधे हिस्से (30 दिनों की जगह 5 दिन का पैरौल) को स्वीकृति देते है. याचिकाकर्ता को रिलीज डेट से 5 दिनों की पैरौल दी जाती है. उन्हें ये पैरोल 5000 राशि की बॉन्ड के साथ सामान्य नियमों पर दिया जा रहा है. याचिकाकर्ता को नियत समय से पहले या पैरौल समाप्त होने के दिन संबंधित जेल अधिकारी को सरेंडर करना होगा.

सभी दोषी करें सरेंडर: Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंग रेप केस (Bilkis Bano Gang Rape Case) में 11 दोषियों को रिहाई देने के गुजरात सरकार के फैसले को खारिज किया था. सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने कहा था कि गुजरात सरकार को रिहाई का फैसला लेने का अधिकार नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी 11 दोषियों को जेल अधिकारी को रिपोर्ट करने का आदेश दिया, जिसके बाद सभी दोषियों ने 21 जनवरी, 2024 के दिन जेल में सरेंडर किया था.

पैरोल और फर्लो में अंतर

सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे (Affidavit) के अनुसार, प्रदीपभाई राममलाल मोदिया कुल 1041 दिनों के लिए पैरोल पर और 233 दिनों के लिए फर्लो पर बाहर जा चुके हैं. मोदिया जनवरी, 2008 से आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे.

पैरोल और फर्लो में के अंतर्गत कैदी को जेल से बाहर जाने की इजाजत मिलती है. पैरोल में बाहर जाने पर सजा के दिनों में गिनती नहीं होती(सजा से निलंबन) है. सजा के दौरान किसी कारणवश कैदी को जेल से बाहर जाने की इजाजत दी गई. इस दौरान कैदी की सजा रूक गई और जब वह वापस आया तो उसकी सजा पुन: शुरू हुई. वहीं फर्लो में ये बाहर जाने पर भी सजा के दिनों की गिनती चालू रहती है. दूसरे शब्दों में कैदी को जेल से दी गई छुट्टी माना जाता है.