अहमदाबाद: गुजरात के दाहोद शहर में कुछ दिन पहले एक सदी पुरानी मस्जिद को स्मार्ट सिटी परियोजना के सिलसिले में ध्वस्त कर दिया गया था. उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को उस संपत्ति पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया, साथ ही राज्य सरकार और दाहोद नगरपालिका को नोटिस जारी कर आठ जून तक अपने जवाब दाखिल करने को कहा.
न्यूज़ एजेंसी भाषा के अनुसार, न्यायमूर्ति एस वी पिंटो की अवकाश पीठ ने याचिकाकर्ता नगीना मस्जिद ट्रस्ट की संपत्ति पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया.
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि मस्जिद का पूरा ढांचा 1926 से अस्तित्व में था और 20 मई को सुबह करीब चार बजे "असंवैधानिक तरीके" से, गुजरात नगरपालिका अधिनियम एवं वक्फ अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए, उसे ध्वस्त कर दिया गया.
याचिकाकर्ता के अनुसार, संपत्ति के स्वामित्व के संबंध में कई ज्ञापन के बावजूद ऐसा किया गया. इस संबंध में एक याचिका में मांग की गई है कि मस्जिद और अन्य वक्फ संपत्तियों को बहाल किया जाए जिन्हें अधिकारियों द्वारा अवैध रूप से ध्वस्त किया गया.
भाषा के अनुसार, याचिकाकर्ता ने संपत्तियों के "विध्वंस और हड़पने" के लिए मुआवजा की भी मांग की गई है, साथ ही, याचिकाकर्ता और अन्य लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक और अनुशासनात्मक कार्रवाई की भी मांग की गई है.
याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि मस्जिद 1926 से थी और इससे लगी दुकानों को ट्रस्ट द्वारा किराए पर दिया गया था और उस पैसे का इस्तेमाल मस्जिद एवं अन्य संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन के लिए किया जाता था.