एडवोकेट को एससी-एसटी एक्ट (SC-ST Act) में फंसाने धमकी देने वाले ग्राम प्रधान की मुश्किलें बढ़ गई है. इस रवैये के चलते इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad HC) ने ग्राम प्रधान पर 25,000 हजार रूपये का जुर्माना भी लगाया है. एडवोकेट को धमकी देने का मामला एक जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई से जुड़ा है, जिसमें वादी पक्ष के एडवोकेट को ग्राम प्रधान ने फोन करके धमकाया और पेशे को लेकर खूब खरी-खोटी सुनाई. एडवोकेट ने इस बात की शिकायत हाई कोर्ट से की. साथ ही हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार के आदेश मिलने के बाद फोन रिकॉर्डिंग की ट्रांसक्रिप्ट रिकॉर्ड पर रखा.
इलाहाबाद हाई कोर्ट में जस्टिस जेजे मुनीर (Justice JJ Munir) ने एडवोकेट की शिकायत को सुना. उन्होंने रिकॉर्ड पर उपलब्ध कराए ट्रांसक्रिप्ट को सुना. जस्टिस ने पाया कि प्रतिवादी (ग्राम प्रधान) ने ना केवल एडवोकेट को व्यक्तिगत रूप से बुरा भला कहा, बल्कि पूरे विधिक सेवा के खिलाफ भद्दी-भद्दी बातें कहीं. जस्टिस ने कहा कि बार न्याय व्यवस्था का एक अभिन्न अंग है. यह न्यायिक प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और न्याय की पहुंच सुनिश्चित करने में योगदान देता है. इसलिए, बार के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करना न्याय व्यवस्था पर ही प्रहार है.
जस्टिस ने आगे कहा कि जब कोई व्यक्ति प्रतिवादी के वकील को झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी और फोन पर गाली देता है, तो यह एक अत्यंत गंभीर समस्या है. सुनवाई के दौरान मौजूद ग्राम प्रधान ने अदालत के सामने अपनी गलती के लिए माफी मांगी और आगे से ऐसा ना करने का वादा किया. सुनवाई के दौरान मौजूद ग्राम प्रधान ने अदालत के सामने अपनी गलती के लिए माफी मांगी और आगे से ऐसा ना करने का वादा किया. हालांकि, अदालत ने ग्राम प्रधान को अदालत की अवमानना के मुकदमे से राहत दी लेकिन भविष्य में ऐसा ख्याल ना आए इसलिए 25,000 का जुर्माना लगाया.