नई दिल्ली: उत्तरप्रदेश में कुपोषण से पीड़ित बच्चों और महिलाओं की समस्याओं से निपटने के लिए चलाई जा रही योजनाओं का क्रियान्वयन उचित तरीके से नहीं होने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है.
जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की लखनऊ पीठ इस मामले में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा पेश किए गए तथ्यों और सरकार पर लगाए गंभीर आरोपो पर पीठ ने चिंता जताते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई तक योजनाओं का ब्योरा पेश करे करने का आदेश दिया है.
मोतीलाल यादव द्वारा दायर जनहित याचिका में सरकार पर कुपोषित बच्चों और महिलाओं पर ध्यान नहीं देने के चलते राज्य में बच्चों की स्थिती को लेकर सरकार पर कई आरोप लगाए गए. याचिका में राज्य सरकार पर कुपोषित बच्चों और महिलाओं को पर्याप्त पोषण उपलब्ध कराने में विफल रहने का आरोप लगाया गया.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा यह तर्क दिए जाने पर कि एक अनुमान के अनुसार राज्य में सर्वाधिक कुपोषित बच्चे है. हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले में सरकार योजनाए चला रही है लेकिन उसके प्रयास और श्रम पर्याप्त नहीं है.
पीठ ने कहा कि कुपोषित मांओ की वजह से ही कुपोषित बच्चों की संख्या में वृद्धि हो रही है. और सरकार का यह कर्तव्य है कि वह ऐसी व्यवस्था करें, कि समाज का यह कमजोर तबका भी अधिकार महसूस कर सके.
पीठ ने राज्य सरकार से इस मामले में चलाई जा रही योजनाओं, उनके क्रियान्वयन और श्रम की कमी सहित संपूर्ण ब्यौरा पेश करने का आदेश दिया है. पीठ ने खासतौर से कहा है कि वह जवाबी हलफनामा दाखिल करते समय विभिन्न लाभकारी योजनाओं को चलाने के लिए मानव संसाधन में कमी की जानकारी अदालत के सामने लाए.