नई दिल्ली, हमारे देश की संस्कृति में हमेशा ही परोपकार और ईमानदारी को सर्वोच्च स्थान मिला है.यही कारण है कि आज भी जब कोई ईमानदार व्यक्ति रास्ते में, टैक्सी में या सार्वजनिक जगहों पर छूटा सामान लौटाता है तो अखबारों तक में खबर छप जाती है.
लेकिन क्या आप जानते है कि राह चलते मिले सामान को आप अगर अपने खुद के लिए उपयोग करते है तो भी आपको जेल हो सकती है. जी हां, हमारे देश के कानून के अनुसार अगर आपको कही पर सामान पड़ा मिला है और आप उस सामान को अपने पास रखते है या कब्जे में लेते है तो आप एक अमानतदार यानी उस सामान को रखने के जिम्मेदार व्यक्ति होते है, जिन्हे समय पर उस सामान के मालिक तक वह सामान पहुंचाना होगा.
भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 71 Indian Contract act के अनुसार यह माना जाता है कि एक व्यक्ति जब किसी ऐसे सामान को कहीं पड़ा हुआ पाता है जो उसका नहीं होता है, और वह उसे अपने कब्जे में ले लेता है, तो व्यक्ति उस सामान के मालिक के साथ सामान्य आवश्यकताओं के बिना एक अनुबंध (कॉन्ट्रैक्ट) में शामिल हो जाता है. यहां केवल सामान के बारे में बात की गई है.
सामान पाने वाले नागरिक या व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जो सामान उसे मिला है वह सही हालत में उसके मालिक तक पहुंच सके. अगर उसका मालिक नहीं मिलता है तो व्यक्ति को वह सामान पुलिस के पास जमा कराया जाना चाहिए.
सामान प्राप्त करने वाले व्यक्ति को एक निश्चित समय के लिए माल का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि खोए हुए सामान का मालिक मिल सकता है और वह सामान वापस करने के लिए कह सकता है. अगर उसका सामान नही लौटाया जाता है तो प्राप्त करने वाला व्यक्ति अमानत में खयानत का दोषी होगा.
सामान प्राप्त करने वाले को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मिले हुए सामान या संपत्ति को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए और अगर कोई नुकसान हुआ है, तो हर्जाने के भुगतान करने के लिए वह जिम्मेदार होगा.
जिस व्यक्ति को सामान मिला है अगर वह उस सामान को पुलिस तक या उसके असली मालिक तक पहुंचाने या अपने पास रखने के लिए खर्च के मुआवजे के लिए मुकदमा नहीं कर सकता है क्योंकि यह स्वैच्छिक था.
हां, लेकिन सामान के मालिक और उसे पहुंचाने वाले व्यक्ति के बीच आपसी सहमति से कोई राशि तय होती है या ईनाम तय होता है तो इसके लिए कानून में कोई प्रतिबंध नही है.
रास्ते पर या सार्वजनिक जगह पर मिला कुछ भी सामान प्राप्त करने वाले व्यक्ति के पास एक अमानत के रूप में रहता है. सामान मिलने के बाद अगर कोई व्यक्ति उस सामान का बगैर उचित समय का इंतजार किए या अपने लालच के चलते उसका उपयोग करता हैं या छुपाता है तो वह आईपीसी की धारा 403 के तहत लोगों की संपत्ति के दुरुपयोग के लिए दोषी ठहराया जाएगा.
धारा 403 के अनुसार, जो भी कोई बेईमानी से किसी चल सम्पत्ति का गबन / दुरुपयोग करेगा या उसको अपने उपयोग के लिए संपरिवर्तित कर लेगा, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास जिसे दो वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, या आर्थिक दण्ड, या दोनों से दण्डित किया जाएगा. कई मामलों में अदालत 6 माह की जेल के साथ जुर्माना दोनो एक साथ लगा सकती है.
हालांकि ये अपराध एक जमानती और गैर-संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है. इस अपराध को किसी भी श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा सुना जा सकता है और जमानत भी दी जा सकती है.
यह अपराध एक समझौता करने योग्य अपराध है यानी मुकदमा दर्ज होने के बाद भी दोनों पक्ष बैठकर आपसी सहमति से समझौता करते है तो मुकदमा समाप्त किया जा सकता है.