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गोधरा ट्रेन अग्निकांड: Supreme Court ने 8 दोषियों को दी जमानत, मौत की सजा पाए चार लोगों को राहत देने से इनकार

27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस की S-6 बोगी में पथराव के बाद आग लगा दी गई थी. इस घटना में 59 यात्रियों की जलकर मौत हो गई थी. विशेष SIT कोर्ट ने 1 मार्च, 2011 को 31 लोगों को दोषी ठहराया, जिनमें से 11 को मौत की सजा और 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

Written by Nizam Kantaliya |Published : April 21, 2023 3:07 PM IST

नई दिल्ली: Supreme Court ने 2002 गोधरा ट्रेन अग्निकांड (Godhra train burning case) के दोषियों की जमानत याचिका पर शुक्रवार को फैसला सुनाते हुए 8 दोषियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है.

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने सत्र न्यायालय द्वारा लगाई गई शर्तों पर 8 दोषियों को जमानत दे दी.

अदालत ने इन दोषियों को 17-18 साल जेल में बिताने के आधार पर जमानत दी है. इन दोषियों को निचली अदालत और हाईकोर्ट से उम्रकैद की सजा मिली थी।

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सु्प्रीम कोर्ट ने कहा कि बेल की शर्तें पूरी कर बाकी लोगों को जमानत पर रिहा किया जाए. दोषियों के वकील संजय हेगड़े ने ईद के मद्देनजर इनको जमानत पर रिहा करने की अपील की थी

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगाकर 59 लोगों को जिंदा जलाए जाने के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अब्दुल रहमान धंतिया, अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी समेत कुल 27 दोषियों की तरफ से दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई की है.

फांसी की सजा पाए को राहत नही

इस मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए 8 दोषियों के साथ ही 4 मौत की सजा पाए दोषियों भी सुप्रीम कोर्ट जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मौत की सजा पाए चार लोगों को राहत देने से इनकार कर दिया है.चारों दोषियों को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी.

सुप्रीम कोर्ट ने इसी वर्ष 20 फरवरी 2023 इन दोषियों की उम्र और जेल में बिताए गए समय सहित उनका संपूर्ण विवरण पेश करने का आदेश दयिा था, ताकि उनके द्वारा दी गई जमानत याचिकाओं पर फैसला करने में मदद मिल सके.

वही गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जमानत का विरोध किया था

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट फारुक को पहले ही जमानत दे चुका है. कोर्ट ने बीते साल 15 दिसंबर 2022को आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे फारुक को यह कहते हुए जमानत प्रदान कर दी थी कि वह 17 वर्षों से जेल में है.

क्या है 2002 गोधरा ट्रेन अग्निकांड

27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस की S-6 बोगी में पथराव के बाद आग लगा दी गई थी. इस घटना में 59 यात्रियों की जलकर मौत हो गई थी.

मुजफ्फरपुर से साबरमती एक्सप्रेस खुली थी और अहमदाबाद जा रही थी. विश्व हिंदू परिषद के आह्वान पर पूर्णाहुति महायज्ञ में शामिल होने गए कम से कम 2,000 कारसेवक अयोध्या से ट्रेन में सवार हुए वापस लौटे थे. पीड़ितों में 27 महिलाएं और 10 बच्चे शामिल थे. वहीं ट्रेन सवार 48 अन्य यात्री घायल हुए थे.

ट्रेन जलाने की घटना के कुछ ही घंटों बार पूरे राज्य में दंगे भड़क गए थे. दंगे 27 फरवरी की शाम को भड़के और राज्य भर में 2-3 महीने तक जारी रहे. 2005 में केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया कि दंगों ने 254 हिंदुओं और 790 मुसलमानों की मौत हुई थी. कुल 223 लोगों के लापता होने की सूचना मिली थी. हजारों लोग बेघर भी हो गए थे.

31 अभियुक्त दोषी

कोर्ट ने भी एक विशेष जांच दल का गठन किया था. 1 जून, 2009 को घटना के आठ साल बाद इस मामले में सुनवाई शुरू हुई. एक विशेष SIT कोर्ट ने 1 मार्च, 2011 को 31 लोगों को दोषी ठहराया, जिनमें से 11 को मौत की सजा और 20 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. अदालत ने मामले में 63 लोगों को बरी भी कर दिया था.

31 दोषियों को आपराधिक साजिश, हत्या और हत्या के प्रयास से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया था.

2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने 31 अभियुक्तों को दोषी ठहराने के फैसले को बरकरार रखा, लेकिन 11 दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया.

इसके बाद दोषियों ने गुजरात हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.