नई दिल्ली: Gauhati High Court की 75 वीं वर्षगांठ पर आयोजित हो रहे प्लेटिनम जुबली समारोह में शुक्रवार दोपहर को आयोजित हुए कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु ने शिरकत करते हुए गुवाहाटी हाईकोर्ट के ऐतिहासिक महत्व और उसके योगदान को याद किया.
समारोंह में CJI डी वाई चन्द्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट जज Justice M R Shah, केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू, असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया, मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा सहित कई हस्तियां मौजूद रही.
समारोह के दौरान राष्ट्रपति ने महिलाओं और बुजुर्गों की सुरक्षा के लिए बनाए गए मोबाइल ऐप ‘Bhoroxa’ को लॉन्च किया.
समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि गुवाहाटी हाईकोर्ट देश के न्यायिक परिदृश्य में एक अद्वितीय स्थान रखता है. 1948 में इसकी स्थापना के बाद, इसका छह दशकों से अधिक समय तक सात राज्यों पर अधिकार क्षेत्र था और अभी भी चार राज्यों पर इसका अधिकार क्षेत्र है.
राष्ट्रपति ने कहा कि इस हाईकोर्ट ने ना केवल कई कानूनी दिग्गजों को जन्म देकर अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है, बल्कि कई ऐतिहासिक निर्णय देने के लिए भी जाना जाता है. राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि गुवाहाटी हाईकोर्ट आने वाले वर्षों में भी इसी तरह आम जनता की सेवा करता रहेगा.
राष्ट्रपति ने कहा कि यह देखकर प्रसन्नता हो रही है कि गुवाहाटी हाईकोर्ट अपने अधिकार क्षेत्र के तहत कुछ राज्यों में चल रहे प्रथागत कानूनों को बरकरार रखा है. स्वदेशी लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इस संस्था ने इस क्षेत्र में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के लोकाचार को बढ़ाने में मदद की है.
पर्यावरण क्षरण के बारे में बोलते हुए, राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे समय में, हमें पारिस्थितिक न्याय के प्रति संवेदनशील होना चाहिए. पर्यावरणीय गिरावट ने दुनिया भर के कई समुदायों के साथ बहुत अन्याय किया है. हमें अन्य प्रजातियों के साथ-साथ संपूर्ण पारिस्थितिकी के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है
राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि कानूनी बिरादरी भी इसमें सार्थक योगदान देगी.
राष्ट्रपति ने न्याय की सुगमता पर जोर देते हुए कहा कि न्याय समावेशी होना चाहिए और इस प्रकार सभी के लिए सुलभ होना चाहिए. हालांकि न्याय तक पहुंच कई कारकों से बाधित है और न्याय की लागत उनमें से एक है.
राष्ट्रपति ने देश में मुफ्त कानूनी परामर्श की पहुंच का विस्तार करते रहने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि न्याय की भाषा एक और बाधा है, लेकिन उस दिशा में प्रशंसनीय प्रगति हुई है और उच्च न्यायपालिका ने अधिक से अधिक क्षेत्रीय भाषाओं में फैसले उपलब्ध कराने शुरू कर दिए हैं.