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'राम राज्य में ऐसा नहीं होता था', सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने ये क्यों कहा? मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा में भी गए थे

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस व मानवाधिकार आयोग के वर्तमान अध्यक्ष अरूण मिश्रा ने राम राज्य का हवाला देते हुए कहा कि उस दौर में बिना चर्चा और डिबेट के संसद से बिल पास नहीं होता था. धर्म की राजनीति और अमीर और गरीब के बीच में कोई भेदभाव नहीं होता था.

Written by My Lord Team |Published : May 6, 2024 10:56 AM IST

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष अरूण मिश्रा ने बड़ी टिप्पणी की है. पूर्व जस्टिस अरूण मिश्रा ने कहा, डिबेट और चर्चाओं के बिना संसद में जैसे बिल पास हो रहे हैं, ऐसा राम-राज्य में नहीं होता था. राम राज्य के आदर्शों की परिकल्पना भारतीय संविधान में शामिल है.  मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पूर्व जस्टिस अरूण मिश्रा, उन जजों में शामिल हैं जो राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल हुए थे. जस्टिस अरूण मिश्रा ने ये बातें इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज कामलेश्वर के बुक लांच में कहीं. बता दें कि जस्टिस कामेश्वर नाथ ने 'इयरनिंग फॉर राम मंदिर एंड फुलफिलमेंट' नाम से एक किताब लिखी है.

बुक लांच समारोह में कहीं ये बातें

लॉचिंग समारोह के दौरान जस्टिस अरूण मिश्रा ने कहा, कि राम मानवाधिकारों के सबसे बड़े संरक्षक थे. हमें उनकी तरह जीवन जीने और बनने का लक्ष्य रखना चाहिए.

पूर्व जस्टिस ने कहा,

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"हम सभी को राम की तरह जीने और बनने का लक्ष्य रखना चाहिए, जो मानव अधिकारों के रक्षक हैं. सनातन धर्म में सभी मतों को समाहित करने की शक्ति है. ये इसकी ताकत है कमजोरी नहीं. हमारा संविधान रामराज्य के इन मूल्यों की रक्षा करता है."

पूर्व जस्टिस अरूण मिश्रा ने संसद की कार्यवाही पर चिंता जताई.

"आजकल हम देखते हैं कि संसद नहीं चल रही है. बिना चर्चा के विधेयक पारित किए जा रहे हैं, राम राज्य के दौरान ऐसा नहीं होता था"

जस्टिस ने धर्म के आधार पर और अमीर-गरीब के बीच होने वाले भेदभाव की भी निंदा की.

जस्टिस ने कहा,

"हमारे संविधान का लक्ष्य रामराज्य को कायम रखना है. इसलिए, यह सभी धर्मों की परवाह करता है और सभी के लिए न्याय की मांग करता है. राम राज्य का अर्थ सभी के लिए सामाजिक विकास और समता है. यह अमीर और गरीब के बीच अंतर नहीं करता है."

जस्टिस ने ये भी कहा,

"हम दुनिया में मौतें और विनाश देख रहे हैं, शांति के लिए राम का संदेश अब और भी अधिक प्रासंगिक है. भारत ने कभी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया या किसी संस्कृति को नष्ट नहीं किया. हम उन शांतिपूर्ण देशों में से हैं जो अपनी सांस्कृतिक विरासत के अनुरूप अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करते हैं."

आजकल हम प्लास्टिक के उपयोग से वनस्पतियों और जीवों को नष्ट कर रहे हैं. रामराज्य में ऐसा नहीं होता था, जो पूरे विश्व में फैल जाए तो लाभ होगा. एक दिन ऐसा अवश्य होगा कि सभी लोग प्रेम और सद्भाव से रहें और सभी संवैधानिक लक्ष्य प्राप्त हो जायें

मानवाधिकार अध्यक्ष ने ये भी कहा,

"राम राज्य के दौरान कोई भी अशिक्षित नहीं था; हर कोई बुद्धिमान था. हमें आज लैंगिक न्याय पर ध्यान देने की जरूरत है. जहां महिलाओं का सम्मान नहीं होता, वहां कोई भी चीज सफल नहीं हो सकती. हमारे देश में महिला सशक्तिकरण एक महत्वपूर्ण कदम है. जय श्री राम,"

मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस अरूण मिश्रा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज कमलेश्वर नाथ के बुक लॉन्चिंग समारोह के दौरान कहीं.