नई दिल्ली: Bar Council of India ने विदेशी वकीलों और Foreign law firms को भारत में वकालत करने की अनुमति देने के मामले में अब स्पष्टीकरण जारी किया है.
BCI ने 10 मार्च को जारी कि गई अधिसूचना के अनुसार भारत में विदेशी वकीलों और कानूनी फर्मो को वकालत की अनुमति देते हुए नए नियम भी बनाए गए. ये नियम अंतरराष्ट्रीय वकीलों और मध्यस्थता चिकित्सकों को विदेशी और अंतरराष्ट्रीय कानून पर भारत में ग्राहकों को सलाह देने में सक्षम बनाते हैं.
BCI के अनुसार विदेशी वकीलों और कानूनी फर्मों को भारत में वकालत करने की अनुमति केवल विदेशी कानून का अभ्यास करने के लिए दी है.
विदेशी वकीलों और फर्मों को भारतीय अदालतों और ट्रिब्यूनल में पेश होने या प्रेक्टिस की अनुमति नहीं होगी. BCI द्वारा जारी की गई अधिसूचना के अनुसार इन विदेशी कंपनियों और वकीलों को विदेशी कानून, अंतरराष्ट्रीय कानूनी मुद्दों और मध्यस्थता मामलों जैसे क्षेत्रों में प्रैक्टिस करने की अनुमति होगी.
BCI द्वारा दी गई इस अनुमति और नए नियमों के सामने आने के बाद से ही सोशलमीडिया सहित कई मंचो से इस फैसले की आलोचना की जा रही थी,अधिसूचना को लेकर ना केवल सोशलमीडिया पर आलोचना शुरू हुई, बल्कि कई बार संगठनो देना पड़ा.
Bar Council of India के सचिव श्रीमंतो सेन की ओर से जारी कि गये स्पष्टीकरण में कहा गया है कि इन नए नियमों से भारतीय वकीलों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
बीसीआई ने अपने स्पष्ट्रकरण में कहा है कि विदेशी वकील/कानून फर्म केवल विदेशी/अंतर्राष्ट्रीय कानूनों पर कानूनी सलाह/सेवाएं प्रदान कर सकते हैं और ऐसी सलाह केवल विदेशी ग्राहकों को ही दी जा सकेगी.
BCI के अनुसार विदेशी वकील भारत की किसी भी अदालत, ट्रिब्यूनल, बोर्ड या नियामक प्राधिकरण में उपस्थित नहीं हो सकते हैं. इसके साथ ही विदेशी वकीलों को केवल गैर-मुकदमे वाले क्षेत्रों में अभ्यास करने की अनुमति दी जाएगी और भारत में उनका प्रवेश पारस्परिक आधार पर होगा.
विदेशी वकीलों का प्रवेश केवल पारस्परिक आधार पर होगा यानी केवल उन्हीं देशों के वकीलों को भारत में अनुमति दी जाएगी, जहां भारतीय वकीलों को भी वकालत करने की अनुमति है।
विदेशी वकीलों को अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता में अपने मुवक्किलों के लिए उपस्थित होने की अनुमति होगी.