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Patients को दवाओं के साथ उसके साइड इफेक्ट भी बताएं Doctor, जानें मांग याचिका को खारिज करते हुए SC ने क्या कहा

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से डॉक्टरों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि वे मरीजों को लिखी गई दवा से जुड़े सभी प्रकार के साइड इफेक्ट के बारे में जानकारी दें.

दवाओं के साइड इफेक्ट भी बताएं Doctor, SC में याचिका दायर

Written by My Lord Team |Published : November 14, 2024 3:36 PM IST

दवा और उसके साइड इफेक्ट (Medicine's Side effects) बताने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में डॉक्टरों को किसी मरीज को दवा प्रिसक्राइब करते वक्त उसके साइड इफेक्ट को भी बताने की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई में क्या कहा-क्या फैसला सुनाया, यह हम बताएंगे, उससे पहले इस मामले को समझते हैं. आज के दौर में सामान्यत: रूप से हर इंसान किसी ना किसी बीमारी से ग्रसित है, ऐसे में वह एक साथ दो बीमारियों के दवा ले सकता है या नहीं? ट्रीटमेंट व टेस्ट के दौरान डॉक्टर इस बात का ख्याल रखते है. अगर कोई बीपी का पेशेंट है, तो डॉक्टर उसे जरूर कुछ आम दवाओं से बचने की सलाह भी देते हैं. इस याचिका में मांग की गई कि डॉक्टर किसी दवा को लिखते वक्त उसके साइड इफेक्टस को भी बताएं. आइये जानते हैं सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में क्या फैसला सुनाया, सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की दलीलों से इंकार करते हुए क्या कहा....

दवाओं के साथ साइड इफेक्ट बताना संभव नहीं!

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की है. पीठ ने याचिकाकर्ता की मांग पर गौर करते हुए कहा कि यह व्यवहारिक नहीं है. पीठ ने कहा कि यदि इसका पालन किया गया तो एक चिकित्सक 10-15 से अधिक मरीजों का इलाज नहीं कर सकेगा और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत मामले दर्ज हो सकते हैं.

इस पर याचिकाकर्ता जैकब वडक्कनचेरी की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि याचिका में एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया है कि क्या चिकित्सकों को अपने मरीजों को लिखी जा रही दवाओं के संभावित साइड इफेक्ट के बारे में बताने के लिए डॉक्टरों को बाध्य किया जाना चाहिए.

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सीनियर वकील ने दलील दी कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने गलत दवाएं लिखे जाने से मरीजों को होने वाले नुकसान पर चर्चा की है. पीठ ने कहा कि चिकित्सक सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले से नाखुश हैं जिसमें चिकित्सा पेशे को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे में लाया गया है. पीठ ने क्षमा करें कहकर याचिका खारिज कर दी.

क्या है मामला?

सुप्रीम कोर्ट दिल्ली उच्च न्यायालय के 15 मई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था. इससे पहले दिल्लीहाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि यह व्यावहारिक नहीं है. दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में केंद्र और राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि वे देश में सेवाएं देने वाले सभी चिकित्सा पेशेवरों के लिए यह अनिवार्य करें कि, वे मरीज को लिखे गए पर्चे के साथ ही (क्षेत्रीय भाषा में एक अतिरिक्त पर्ची के रूप में) दवा या फार्मास्युटिकल उत्पाद से जुड़े सभी प्रकार के संभावित जोखिमों और दुष्प्रभावों के बारे में भी बताएं.

(खबर PTI इनपुट के आधार पर लिखी गई है)