नई दिल्ली: केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने एक बार फिर से देश में न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच के रिश्तों को लेकर बयान दिया है.
केन्द्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा है कि कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच मतभेद लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा हैं और इसे 'टकराव' नहीं कहा जाना चाहिए.
कानून मंत्री ने कहा कि देश में "कुछ तत्व" भारत की प्रगति नहीं देखना चाहते हैं और इसलिए यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच टकराव है.
Law Minister Kiren Rijiju ने शुक्रवार को Gauhati High Court की 75 वीं वर्षगांठ पर आयोजित हो रहे प्लेटिनम जुबली समारोह को संबोधित कर रहे थे.
प्लेटिनम जुबली समारोह के तहत शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु के साथ CJI डी वाई चन्द्रचूड़, सुप्रीम कोर्ट जज Justice M R Shah, असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया, मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा सहित कई हस्तियां मौजूद रही.
Law Minister ने अपने संबोधन में कहा कि "कानून मंत्री के रूप में, कानून को बनाए रखना कर्तव्य है. न्यायपालिका की स्वतंत्रता सर्वोपरि है, कभी-कभी हम समान चर्चा और बहस के शिकार होते हैं.
रीजीजू ने कहा CJI ने अपना मन स्पष्ट कर दिया है कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के बीच संबंध सौहार्दपूर्ण होने चाहिए। कुछ तत्व ऐसा करते हैं जो आज के ऑनलाइन युग में भारत को प्रगति नहीं देखना चाहता. और सरकार और न्यायपालिका के बीच मतभेदों को उभारने में लगे रहते है.
कानूनमंत्री ने एक बार फिर से इस बात को दोहराया है कि देश में कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका को मिलकर काम करना होगा.
केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा, "बार और न्यायपालिका के सदस्यों को एक साथ काम करना होगा। न्यायाधीश और बार के सदस्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं, दोनों के बिना न्याय नहीं हो सकता.