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दिल्ली शराब 'घोटाले' में सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मनीष सिसोदिया पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति घोटाला मामले में सीबीआई द्वारा की गई गिरफ्तारी और जाचं को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. इस मामले को सुनवाई के लिए सीजेआई के समक्ष रखा जाएगा.

Written by My Lord Team |Published : February 28, 2023 6:03 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को शराब घोटाला मामले में अपनी गिरफ्तारी और सीबीआई जांच के तरीके को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने सिसोदिया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता ए एम सिंघवी द्वारा दाखिल प्रतिवेदन पर गौर करते हुए कहा कि वह जमानत याचिका पर दोपहर तीन बजकर 50 मिनट पर सुनवाई करेगी।

सुप्रीम कोर्ट ने पहले कहा था कि जेल में बंद आम आदमी पार्टी (आप) के नेता दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत जमानत के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख कर प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध कर सकते हैं।

सीबीआई ने सिसोदिया को शराब की बिक्री से संबंधित आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में रविवार को गिरफ्तार किया.

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आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार को लेकर गिरफ्तार सिसोदिया को एक विशेष अदालत ने सोमवार को पांच दिन के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की हिरासत में भेज दिया था। अदालत ने कहा था, ‘‘उचित व निष्पक्ष जांच के लिए आवश्यक है कि उनसे पूछे गए सवालों के उचित तथा वैध जवाब मिलें और इस अदालत की राय में यह आरोपी की हिरासत में पूछताछ से ही संभव है।’’

राउज एवेन्यू कोर्ट में सुनवाई के दौरान, सीबीआई ने अदालत को बताया कि गिरफ्तार किये गए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री ने दावा किया है की आबकारी नीति मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है, लेकिन जांच से पता चलता है कि उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर फैसला किया.

केंद्रीय एजेंसी ने अदालत से कहा कि पूछताछ के लिए उसे सिसोदिया की हिरासत की जरूरत है जबकि सिसोदिया के वकील ने उन्हें हिरासत में देने का विरोध किया और कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई सबूत नहीं है.

सुनवाई के बाद अदालत ने सिसोदिया को 5 दिन के लिए सीबीआई हिरासत में भेज दिया.

आबकारी नीति का मामला

खबरों के अनुसार, मनीष सिसोदिया गिरफ्तारी का आधार पिछले साल जुलाई से तैयार किया जा रहा था, जब दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना को एक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें सिसोदिया पर 'कमीशन' के बदले शराब के लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया गया था.

काफी विवाद के बाद अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली कैबिनेट ने पिछले साल जुलाई में आबकारी नीति 2021-22 को वापस ले लिया था.

मामले में सीबीआई की प्राथमिकी में कहा गया है कि सिसोदिया, तत्कालीन आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्णा और उत्पाद शुल्क विभाग के दो अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति से संबंधित सिफारिश करने और निविदा के बाद लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने के इरादे से निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

रिपोर्ट के अनुसार, सरकार को होने वाली भारी राजस्व हानि 'विदेशी शराब के मामले में निमार्ताओं के लिए बीयर पर आयात पास शुल्क और प्रति यूनिट लाभ मार्जिन' के कारण हुई थी.