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दिल्ली विधान सभा में चुनाव से पहले CAG रिपोर्ट पर बहस होगी या नहीं! हाई कोर्ट आज करेगा फैसला

पिछली सुनवाई में जस्टिस दत्ता ने पूछा था कि विधानसभा सत्र बुलाना विधानसभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार है और सवाल किया कि क्या अदालत विधानसभाध्यक्ष को ऐसा करने का निर्देश दे सकती है, खासकर तब जब चुनाव नजदीक हों.

दिल्ली हाईकोर्ट (सांकेतिक चित्र पीटीआई)

Written by My Lord Team |Published : January 24, 2025 11:19 AM IST

दिल्ली उच्च न्यायालय दिल्ली के विपक्षी विधायकों की एक याचिका पर 24 जनवरी को आदेश पारित करेगा, जिसमें कैग रिपोर्ट पेश करने के लिए दिल्ली विधानसभा की बैठक बुलाने का अनुरोध किया गया है. इसमें दिलचस्प देखना होगा कि अदालत विधानसभा सत्र बुलाने का निर्देश आगामी चुनाव (5 फरवरी) से पहले देती है या बाद में. पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने कहा था कि इस केस में मूल सवाल ये है कि क्या कोर्ट अपनी ओर से स्पीकर को विशेष सत्र बुलाने का निर्देश दे सकता है? विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और भाजपा विधायकों मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन ने पिछले साल याचिका दायर की थी और विधानसभा अध्यक्ष को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पेश करने के उद्देश्य से विधानसभा की बैठक बुलाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है. याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ता नीरज और सत्य रंजन स्वैन के माध्यम से याचिका दायर की.

जस्टिस सचिन दत्ता फैसला सुनाएंगे. पिछली सुनवाई में जस्टिस दत्ता ने पूछा था कि विधानसभा सत्र बुलाना विधानसभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार है और सवाल किया कि क्या अदालत विधानसभाध्यक्ष को ऐसा करने का निर्देश दे सकती है, खासकर तब जब चुनाव नजदीक हों. आज जस्टिस दत्ता की अगुवाई वाली बेंच इस मामले में अपना फैसला सुनाएगी.

अध्यक्ष और दिल्ली सरकार के वरिष्ठ वकीलों ने अदालत द्वारा इस तरह के निर्देश पारित करने का विरोध किया और कहा कि इस समय रिपोर्ट पेश करने की कोई जल्दी नहीं है, जब विधानसभा चुनाव जल्द ही होने वाले हैं.

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जवाब में, विधानसभा सचिवालय ने कहा कि कैग रिपोर्ट को विधानसभा के समक्ष रखने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा, क्योंकि फरवरी में इसका कार्यकाल समाप्त हो रहा है और विधानसभा के आंतरिक कामकाज के मामलों में अध्यक्ष के लिए कोई न्यायिक आदेश पारित नहीं किया जा सकता है.

गत 13 जनवरी को हुई सुनवाई के दौरान, अदालत ने कहा कि कैग रिपोर्ट को चर्चा के लिए विधानसभा के समक्ष तुरंत रखा जाना चाहिए था और राज्य सरकार द्वारा इस मुद्दे पर ‘अपने पैर पीछे खींचने’ से ‘उसकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है. अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद 16 जनवरी को आदेश सुरक्षित रख लिया था.

(खबर एजेंसी इनपुट से है)