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कभी भी भोजपुरी को अश्लील न कहें... मेनियाक गाने के बोल पर बदलने की मांग पर Delhi HC की दो टूक

बहस के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि ‘यह भोजपुरी अश्लीलता क्या है? अश्लीलता का कोई धर्म या क्षेत्र नहीं होता. इसे ऐसे परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए.

मेनियाक गाने के कास्ट, दिल्ली हाई कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : March 27, 2025 12:12 PM IST

हनीं सिंह का गाना मेनियाक में भोजपुरी की दो लाइनों को अश्लील बताकर हटाने की मांग की गई. गाने के बोल बदलने के अनुरोध को लेकर याचिकाकर्ता ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि इसमें महिलाओं को ‘यौन वस्तु’ के रूप में दर्शाया गया है, हुजूर गीत के बोल बदलने के आदेश दें. याची ने जोर देकर कहा कि इस नए गाने में भोजपुरी अश्लीलता है. आरोप यह भी लगाया गया कि यह गीत स्पष्ट रूप से कामुकता को बढ़ावा देता है, तथा महिलाओं को यौन इच्छा की वस्तु के रूप में चित्रित करके दोहरे अर्थ का प्रयोग करता है. मामले को दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई को सुनवाई के लिए लाया गया. आइये जानते हैं कि दिल्ली हाई कोर्ट ने क्या कहा...

अश्लीलता का कोई धर्मा या क्षेत्र नहीं होता: Delhi HC

चीफ जस्टिस देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने हालांकि याचिकाकर्ता के वकील की इस दलील पर कड़ी आपत्ति जताई कि गाने में ‘भोजपुरी अश्लीलता’ है. पीठ ने कहा, ‘यह ‘भोजपुरी अश्लीलता’ क्या है? अश्लीलता का कोई धर्म या क्षेत्र नहीं होता. इसे ऐसे परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए. कभी भी भोजपुरी को अश्लील न कहें. यह क्या है? अश्लीलता अश्लील है. फूहड़ता फूहड़ है. कल आप कहेंगे कि दिल्ली अश्लील है. अश्लीलता अश्लीलता है, कोई क्षेत्र नहीं.

आपने शारदा सिन्हा का नाम सुना है?

मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से कहा, क्या आपने शारदा सिन्हा के बारे में सुना है? फिर यह भोजपुरी अश्लीलता क्या है? याचिकाकर्ता के वकील ने जब कहा कि यह गाना इंटरनेट पर लोकप्रिय हो रहा है और इस पर कार्रवाई की जानी चाहिए, तो पीठ ने कहा कि यदि वह गाने के बोलों से आहत हैं तो उन्हें प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए. अदालत ने कहा, ‘‘हम कोई परमादेश जारी नहीं कर सकते. परमादेश राज्यों और राज्य निकायों के खिलाफ जारी की जाती हैं. आपका मामला सार्वजनिक कानून के तहत नहीं है. यह निजी कानून के तहत है. अगर आप अश्लीलता से आहत हैं, तो आपराधिक कानून प्रणाली के तहत उपाय है. प्राथमिकी या शिकायत दर्ज कराएं.

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उक्त टिप्पणियों के साथ दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है.

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