दिल्ली हाई कोर्ट ने कैग की कई रिपोर्ट पेश करने के लिए राज्य विधानसभा की बैठक बुलाने का निर्देश देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया है. जस्टिस सचिन दत्ता ने हालांकि कहा कि इस मामले में दिल्ली सरकार की ओर से ‘अत्यधिक देरी’ की गई है. फैसले में हाई कोर्ट ने कहा कि अदालत विधानसभा की विशेष बैठक बुलाने संबंधी याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार करने के लिए इच्छुक नहीं है. अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि ऑडिट रिपोर्ट पेश किया जाना संविधान के तहत अनिवार्य है. बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव 5 फरवरी को होना है, वहीं 7 फरवरी के दिन रिजल्ट आएगा.
इससे पहले, जस्टिस दत्ता ने पूछा था कि विधानसभा सत्र बुलाना विधानसभा अध्यक्ष का विशेषाधिकार है और सवाल किया कि क्या अदालत विधानसभाध्यक्ष को ऐसा करने का निर्देश दे सकती है, खासकर तब जब चुनाव नजदीक हों. जवाब में, विधानसभा सचिवालय ने कहा कि कैग रिपोर्ट को विधानसभा के समक्ष रखने से कोई उपयोगी उद्देश्य पूरा नहीं होगा, क्योंकि फरवरी में इसका कार्यकाल समाप्त हो रहा है और विधानसभा के आंतरिक कामकाज के मामलों में अध्यक्ष के लिए कोई न्यायिक आदेश पारित नहीं किया जा सकता है.
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायकों मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन ने पिछले साल याचिका दायर की थी और विधानसभा अध्यक्ष को कैग रिपोर्ट पेश करने के लिए सदन की बैठक बुलाने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. याचिकाकर्ताओं ने अधिवक्ताओं नीरज और सत्य रंजन स्वैन के माध्यम से याचिका दायर की थी. अध्यक्ष और सरकार के वरिष्ठ वकीलों ने अदालत द्वारा ऐसा निर्देश पारित करने का विरोध किया था और कहा था कि ऐसे समय में रिपोर्ट पेश करने की कोई जल्दी नहीं की जानी चाहिए जब विधानसभा चुनाव जल्द ही होने वाले हैं.
(खबर पीटीआई से है)