दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्रकार श्याम मीरा सिंह को ईशा फाउंडेशन और उसके संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव के खिलाफ आपत्तिजनक वीडियो को हटाने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट ने गूगल, एक्स कॉर्प और मेटा प्लेटफार्म्स को संबंधित वीडियो 'सद्गुरु एक्सपोज़्ड: क्या हो रहा है जग्गी वासुदेव के आश्रम में' को हटाने का आदेश दिया है. बता दें कि हाई कोर्ट का यह फैसला ईशा फाउंडेशन द्वारा दायर मानहानि के मुकदमे के जवाब में आया है. वहीं, अदालत अब इस मामले की अगली सुनावाई 9 जुलाई को करेगी.
जस्टिस सुबरामण्यम प्रसाद की अध्यक्षता वाली पीठ ने लोगों को भी इस वीडियो को किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने से रोकने का आदेश दिया. अदालत ने कहा कि वीडियो में उल्लिखित सामग्री "प्रत्यक्ष रूप से मानहानिकारक" है और यह प्रतिवादी की प्रतिष्ठा को प्रभावित करती है. अदालत ने कहा कि प्रतिष्ठा प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा का एक अभिन्न हिस्सा है और यह आवश्यक है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रतिष्ठा के अधिकार के बीच संतुलन बनाया जाए. यह अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का हिस्सा माना गया है.
ईशा फाउंडेशन द्वारा दायर मानहानि याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह वीडियो आध्यात्मिक संगठन की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाता है, जो मानव चेतना को बढ़ाने और व्यक्तिगत परिवर्तन के माध्यम से वैश्विक सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है. दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 9 जुलाई को निर्धारित की है। न्यायालय ने कहा कि याचिका पर प्रतिवादियों के उत्तर समय सीमा के भीतर प्रस्तुत किए जाने चाहिए.
पिछले अक्टूबर में, सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दिया था, जिसमें कोयंबटूर पुलिस को ईशा फाउंडेशन की जांच करने का निर्देश दिया गया था. यह आदेश एक पिता द्वारा दायर किए गए हैबियस कॉर्पस याचिका के संदर्भ में आया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उसकी दो बेटियों को आश्रम में कैद रखा गया है.