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अनिवार्य मतदान की PIL को Delhi High Court ने किया खारिज, कहा "Voting a matter of choice"

Chief Justice सतीश चन्द्र शर्मा और Justice सुब्रमण्यम प्रसाद ने याचिका को स्वीकार करने से इंकार करते हुए कहा कि हम चेन्नई में किसी व्यक्ति को श्रीनगर में अपने गृह नगर वापस आने और वहां मतदान करने के लिए बाध्य नहीं कर सकते.

Written by Nizam Kantaliya |Published : March 17, 2023 6:03 AM IST

नई दिल्ली: Delhi High Court ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान को अनिवार्य करने की मांग को लेकर दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. भाजपा नेता और एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय ने ये याचिका दायर की थी.

मुख्य न्यायाधीश सतीश चन्द्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने याचिका को स्वीकार करने से इंकार करते हुए कहा कि मतदान पसंद का मामला है

मुख्य न्यायाधीश की पीठ द्वारा याचिका पर जुर्माना लगाने की चेतावनी देने पर उपाध्याय ने अपनी याचिका को विड्रा करने का अनुरोध किया.जिसके बाद पीठ ने याचिका को विड्रा करने के आधार पर खारिज करने का आदेश दिया.

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बाध्य नहीं कर सकते

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ याचिका पर ऐतराज जताते हुए कहा कि मतदान एक विकल्प है और न्यायाधीश कानूनविद नहीं हैं जो इस तरह के निर्देश पारित कर सकते हैं.

पीठ ने कहा कि अगर मतदान को अनिवार्य किया जाता है तो क्या स्थिती पैदा हो जाएगी.

पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह चेन्नई में किसी व्यक्ति को श्रीनगर में अपने गृह नगर वापस आने और वहां मतदान करने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है.

पीठ ने कहा, "आप चाहते हैं कि हम पुलिस को उसे पकड़ने और श्रीनगर भेजने का निर्देश दें."

याचिका वापस ले या जुर्माना दे

मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने उपाध्याय की Public Interest Litigation  को लेकर भी सख्त टिप्पणी की हैं. पीठ ने कहा कि इस तरह की जनहित याचिकाओं की बाढ आ गई है. और जब भी वे वादसूची देखते है तो उसमें ऐसे मामले बढ गए है.

सुनवाई के दौरान जब पीठ अनिवार्य मतदान को लेकर सख्ती दिखाई तो उपाध्याय ने कहा कि वह अनिवार्य मतदान के लिए अपनी प्रार्थना पर जोर नहीं देंगे.

लेकिन मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने याचिका पर जुर्माना लगाने की चेतावनी देते हुए कहा कि वे इसे वापस ले या जुर्माना दे.

जिसके बाद उपाध्याय ने अपनी याचिका वापस ले ली.

क्या कहा था याचिका में

जनहित याचिका में उपाध्याय ने दावा किया मतदान को अनिवार्य बनाने से मतदान प्रतिशत में सुधार होगा, राजनीतिक भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा और लोकतंत्र की गुणवत्ता में सुधार होगा.

याचिका में ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम और ब्राजील जैसे देशों के उदाहरणों का हवाला दिया, जिन्होंने अनिवार्य मतदान लागू किया है और कहा कि उन्होंने मतदाता मतदान में महत्वपूर्ण वृद्धि और लोकतंत्र की गुणवत्ता में सुधार देखा है.

याचिका में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में अनिवार्य मतदान सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार और भारत के चुनाव आयोग (ECI) को निर्देश देने की मांग की गई थी.